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प्रकरणम् ] भाषानुवादसहितम्
७११ प्रशस्तपादभाष्यम् संयोगद्वयात् तोमरहस्तयोर्युगपदाकर्षणकर्मणी भवतः। प्रसारिते च हस्ते तदाकर्षणार्थः प्रयत्नो निवर्तते। तदनन्तरं तिर्यगूल दूरमासन्नं वा क्षिपामीतीच्छा सञ्जायते । तदनन्तरं तदनुरूपः प्रयत्नस्तमपेक्षमाणस्तोमरहस्तसंयोगो नोदनाख्यः! तस्मात् तोमरे कर्मोत्पन्न नोदनापेक्षं तस्मिन् संस्कारमारभते । ततः संस्कारनोदनाभ्यां तावत् क्रियायें उत्पन्न होती हैं। हाथ को पसार लेने पर आकर्षण का कारण वह प्रयत्न नष्ट हो जाता है। इसके बाद 'इसको किसी पार्श्व में, या ऊपर बहुत दूर, या निकट में ही फेंक दूं' यह इच्छा उत्पन्न होती है। फिर ( इच्छाविषयीभूत ) उस क्रिया के अनुकूल प्रयत्न उत्पन्न होता है। इसके बाद इस प्रयत्न के साहाय्य से तोमर और हाथ में नोदन नाम के संयोग की उत्पत्ति होती है। नोदन नाम के संयोग से तोमर में उत्पन्न क्रिया उस नोदन की
न्यायकन्दली हस्तेऽप्युत्पतनकर्मेति । अस्मिन् पक्षे हस्तमुसलोत्पतनकर्मणोर्वास्तवमेव योगपद्यम् ।
पाणिमुक्तेषु गमनविधिः कथम् ? पाणिमुक्तेषु द्रव्येषु गमनविधिः गमनप्रकारः कथमुत्पद्यत इति प्रश्ने कृते सत्याह-यदा तोमरमिति । युगपदाकर्षणेति, अनाकृष्योत्क्षेप्तुमशक्यत्वात् । प्रयत्नो निवर्तत इति तयोहस्ततोमरयोराकर्षणप्रयोजनप्रयत्नो निवर्तते, तद्विरोधिप्रसारणप्रयत्नोत्पादादित्यर्थः । तदनन्तरमिति । प्रसारणानन्तरम् । तीर्यगूज़ वा दूरमासन्नं वा क्षिपामीतीच्छोत्पद्यते। तदनन्तरं तदनुरूपः प्रयत्नः, तिर्यक्षेपणेच्छायां तिर्यक्षेपणप्रयत्नो में ही उत्पन्न कर्म वास्तव में एक ही समय उत्पन्न होते हैं (पहिले पक्ष की तरह यहाँ योगपद्य का शोघ्रतामूलक गौण प्रयोग नहीं है)।
'पाणिमुक्तेषु गमनविधिः कथम्' ? हाथ से फेके हुए द्रव्यों की 'गमनविधि' गमन की रीति अर्थात् गमनक्रिया को उत्पत्ति किस प्रकार होती है ? यह प्रश्न किये जाने पर 'यदा तोमरम्' इत्यादि से समाधान किया गया है। 'युगपदाकर्षणेति' क्योंकि बिना आकर्षण के फेंकना सम्भव नहीं हैं। 'प्रयत्नो निवर्तत इति' अर्थात् हाथ और तोमर इन दोनों के आकर्षण रूप प्रयोजन का सम्पादन कर प्रयत्न निवृत्त हो जाता है। क्योंकि आकर्षण का विरोधी और प्रसारण का हेतुभूत प्रयत्न उत्पन्न हो गया रहता हैं । 'तदनन्तरम्' अर्थात् प्रसारण के बाद, टेढ़ा करके फेंके या ऊपर की ओर अथवा दूर फेंके अथवा समीप में फेंके, इस प्रकार की इच्छायें उत्पन्न होती हैं। 'तदनन्तरं तदनुरूपः प्रयत्नः' इसमें प्रयुक्त 'अनुरूप' शब्द के द्वारा यह अर्थ व्यक्त होता है कि
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