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न्यायकन्दलीसंवलितप्रशस्तपादभाष्यम् [गणेऽनुमानेऽभावान्तर्भाव
न्यायकन्दली सत्यामपि सुस्मर्षायां न स्मर्यते, स तस्य ग्रहणकाले नासोदिति । यथा केवले प्रदेशे स्मर्यमाणे तत्र प्राक्प्रतीताभावो घटोऽस्मर्यमाणः। न च स्मर्यते देवकुले स्मर्यमाणे सत्यामपि सुस्मूर्षायां स्मृतियोग्योऽपि देवदत्तः। तस्मात् सोऽपि देवकुलग्रहणसमये नासोदिति स्मृत्यभावादनुमानम् । सहोपलब्धयोरपि वस्तुनोः संस्कारपाटवादिविरहादेकस्य स्मरणमपरस्यास्मरणं दृष्टम्, यथाधीतस्य श्लोकस्यैकस्य पदान्तरस्मरणेऽपि पदान्तरास्मरणम् । तत्र कथमेकस्य स्मरणे परस्यास्मरणाद् अभावानुमानमनैकान्तिकत्वादिति चेत् ? सहस्थितयोरपि पदार्थयोः कदाचित् कारणानुरोधादेक उपलभ्यते नापरः, तत्रापि कथं भूतलोपलम्भादनुपलभ्यमानस्य घटस्याभावसिद्धिः ?
(प्र.) तब फिर जहाँ कोई व्यक्ति केवल भूतल रूप आश्रय को देखकर दूसरी जगह चला जाता है, वहीं कुछ काल के बाद घट रूप प्रतियोगी का स्मरण होने पर 'उस भूतल रूप अधिक रण में उस समय घट नहीं था' इस प्रकार से उसे अभाव का ग्रहण होता है, उसकी उपपत्ति कैसे होगी ? (उ०) उस अभाव का ग्रहण अनुमान प्रमाण से होगा। क्योंकि (घट से असंयुक्त) केवल भूतल के स्मरण की पूर्ण इच्छा रहने पर भी पहिले से ज्ञात भूतल में घट का स्मरण नहीं होता है, वहां यह निश्चित है कि घट नहीं था। इससे यह सामान्य नियम उपपन्न होता है, कि जिस एक वस्तु का स्मरण होने पर, और स्मरण की पूर्ण इच्छा रहने पर भी स्मृति के योग्य जिस दूसरी वस्तु का स्मरण नहीं होता है, उस (एक) वस्तु में वह ( दूसरी) वस्तु नहीं है। तदनुसार देवालय का स्मरण होने पर देवदत्त के स्मरण की इच्छा रहने पर और देवदत्त में स्मृति को पूर्णयोग्यता रहने पर भी यदि उनकी स्मृति नहीं होती है, तो यह अनुमान सुलभ हो जाता है 'उस समय देवालय में देवदत्त नहीं थे' (प्र.) उक्त नियम में व्यभिचार रहने के कारण कथित रीति से भूतकालिक अभाव का अनुमान सम्भव नहीं है, क्योंकि साथ साथ अनुभव होनेवाले दो विषयों में से यदि एक विषयक संस्कार दृढ़ नहीं रहता है, या उसमें कुछ पटुता की कमी रहती है, तो फिर उसका स्मरण नहीं होता है । एवं दूसरे विषय का संस्कार यदि उन दोषों से दूर रहता है, तो उस विषय का स्मरण होता है। जैसे कि पढ़े हुए एक पद्य के एक अंश का स्मरण होता है, दूसरे का नहीं। इस प्रकार के स्थलों में एक का स्मरण न होने पर भी दूसरे का स्मरण किस प्रकार हो सकेगा? (उ०) (जिस प्रकार एक साथ ज्ञात होनेवाले दो विषयों में से कभी एक का स्मरण होता है, दूसरे का नहीं उसी प्रकार ) एक साथ रहनेवाले दो पदार्थों में से भी एक का स्मरण होता है, चूंकि उसके सभी कारण ठीक रहते हैं। दूसरे का स्मरण नहीं होता, क्योंकि
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