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प्रकरणम् ]
भाषानुवादसहितम्
४२३
प्रशस्तपादभाष्यम् विपर्ययोऽपि प्रत्यक्षानुमानविषय एव भवति । प्रत्यक्षविषये तावत् प्रसिद्धानेकविशेषयोः पित्तकफानिलोपहतेन्द्रियस्यायथार्थालोचनाद् असन्निहितविषयज्ञानजसंस्कारापेक्षादात्ममनसोः संयोगादधर्माच्चातस्मिंस्तदिति प्रत्ययो विपर्ययः । यथा गव्ये
विपर्यय भी प्रत्यक्ष एवं अनुमान के द्वारा ज्ञात होनेवाले विषयों का ही होता है। विभिन्न जिन दो वस्तुओं के असाधारण धर्म ज्ञात हैं, उन दोनों में से ( विद्यमान ) एक वस्तु में ( अविद्यमान ) दूसरे वस्तु का ज्ञान ही 'विपर्यय' है। इसकी उत्पत्ति उक्त विषयों के यथार्थ ज्ञान का
न्यायकन्दली स्थाणुधर्मस्य शिरःपाण्यादेविशेषस्य पुरुषधर्मस्यानुपलब्धितः । स्थाणुत्वादिसामान्यविशेषानभिव्यक्तावित्यादिपदेन पुरुषत्वाद्यवरोधः। वनकोटरादयः स्थाणुत्वाभिव्यक्तिहेतवः, शिरःपाण्यादयः पुरुषत्वाभिव्यक्तिहेतवः, तेषामनुपलम्भात् । स्थाणुत्वपुरुषत्वयोरनभिव्यक्तौ सत्यामुभयोः स्थाणुपुरुषयोः प्रत्येकमुपलब्धानां विशेषाणामनुस्मरणादुभयत्राकृष्यमाणस्य उभयत्र स्थाणौ पुरुष वाकृष्यमाणस्य प्रतिपत्तुर्यदोर्ध्वतादर्शनात् स्थाणुरयमिति निश्चेतुमिच्छति तदा पुरुषविशेषानुस्मरणेन पुरुषे समाकृष्यत इत्युभयत्राकृष्यमाणः, अत एवास्य प्रत्ययो दोलायते, नेकत्र नियमेनावतिष्ठते । दोला साधर्म्यमनवस्थित रूपत्वमेव प्रत्ययस्य दर्शयति-किन्नु खल्वयं स्थाणुः स्यात् पुरुषो वेति ।
संशयानन्तरं विपर्ययं निरूपयति-विपर्ययोऽपि प्रत्यक्षानुमानविषय जब स्थाणुत्व और पुरुषत्व का अनुभव नहीं हो पाता, किन्तु स्थाणु और पुरुष दोनों में से प्रत्येक के विशेष धर्मों का पीछे स्मरण होता है तब 'उभयत्राकृष्यमाणस्य' 'उभयत्र' अर्थात् स्थाणु और पुरुष दोनों तरफ आकृष्ट ज्ञाता जिस समय ऊँचाई के देखने से 'यह स्थाणु ही है' यह निश्चय करने के लिए इच्छुक होता है, उसी की स्मृति से पुरुष की तरफ भी आकृष्ट होता है। इस प्रकार ( स्थाणु और पुरुष ) दोनों में आकृष्यमाण पुरुष का प्रत्यय दोलायित होता है, अर्थात् नियमपूर्वक एक ही स्थान में नहीं ठहरता। दोला (झूला ) के साधर्म्य के द्वारा प्रत्यय में जो अनिश्चय स्वरूपता सूचित होती है, उसके स्वरूप का निर्देश किं नु खल्वयं स्थाणुः स्यात् पुरुषो वेति' इस वाक्य के द्वारा दिखलाया गया है।
संशय के बाद 'विपर्ययोऽपि प्रत्यक्षानुमानविषय एव' इत्यादि सन्दर्भ के द्वारा विपर्यय का निरूपण करते हैं। इस वाक्य के 'अपि' शब्द के द्वारा यह प्रतिपादित
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