________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir
२५८
न्यायकन्दलीसंवलितप्रशस्तपादभाष्यम् [गुणेरूपादीनां पाकजोत्पत्ति
प्रशस्तपादभाष्यम् कर्माण्युत्पद्यते तेभ्यो विभागा विभागेभ्यः संयोगविनाशाः संयोगविनाशेभ्यश्च कार्यद्रव्यं विनश्यति । तस्मिन् विनष्टे स्वतन्त्रेषु परमाणुष्वसंयोगादौष्ण्यापेक्षाच्छयामादीनां विनाशः पुनरन्यस्मादग्निसंयोगादौष्ण्यापेक्षात् पाकजा जायन्ते । अग्नि के उस नोदन या अभिघात से उनमें क्रियाओं की उत्पत्ति होती है। उन क्रियाओं से परमाणुओं में विभाग होते हैं। इन विभागों से परमाणुओं के परस्पर के सारे संयोग टूट जाते हैं। संयोग के इन विनाशों से घटादि द्रव्यों का विनाश हो जाता है। उनके विनष्ट हो जाने के बाद परस्पर अलग हुए उन परमाणुओं में उष्णता और अग्नि के संयोग से पाकज रूपादि की उत्पत्ति होती है।
न्यायकन्दली आमद्रव्यस्येत्यपक्वद्रव्यस्येत्यर्थः । पाकार्थमग्निना सम्बद्धस्य परमाणुषु कर्माण्युत्पद्यन्ते, आमद्रव्यस्य घटादेः संयोगिनोऽप्युदकपरमाणवः सन्ति, तन्निवृत्त्यर्थमाहतदारम्भकेष्विति । तस्य घटादेरारम्भकेष्वित्यर्थः । घटाद्यारम्भकाश्च परमाणवः पारम्पर्येण कर्मणां कारणमित्याह-अग्न्यभिधातान्नोननाद्वेति । पार्थिवस्य परमाणोरग्निनाभिघातो नोदनं वा संयोगविशेषः, स च कर्माधिकारे वक्ष्यते । तेभ्यो विभागा विभागेभ्यः संयोगविनाशाः संयोगविनाशेभ्यश्च कार्यद्रव्यं विनश्यति, तेभ्यः कर्मभ्यः परमाणनां विभागा विभागेभ्यो द्वयणकलक्षणं कार्यद्रव्यं विनश्यति । तस्मिन् विनष्टे स्वतन्त्रेषु परमाणुष्वग्निसंयोगादग्नि
(घटादि पद में प्रयुक्त ) 'आदि' शब्द से शराव प्रभृति द्रव्यों को समझना चाहिए । 'आमद्रव्य' का अर्थ है बिना पका हुआ कच्चा द्रव्य । पाक के लिए अग्नि के साथ सम्बद्ध परमाणुओं में क्रिया उत्पन्न होती हैं, किन्तु घटादि कच्चे द्रव्यों में तो जलादि के परमाणु भी सम्बद्ध हैं, किन्तु उनके परमाणुओं में पाक इष्ट नहीं है, अतः उनको हटाने के लिए 'तदारम्भकेषु' यह वाक्य दिया गया है । 'तस्य' शब्द के 'तत्' शब्द से घटादि द्रव्य अभिप्रेत हैं। उनके आरम्भक अर्थात् उत्पादक परमाणुओं में । 'अग्न्यभिघातान्नोदनाद्वा' इत्यादि से यह कहते हैं कि घटादि के उत्पादक परमाणु भी परम्परा से उक्त क्रिया के कारण हैं । पार्थिव परमाणु के साथ अग्नि का नोदन या अभिघात नाम का संयोग ( होता है ) इसकी बातें आगे कर्मपदार्थ-निरूपण में कहेंगे । 'तेभ्यो विभागः, । विभागेभ्यः संयोगविनाशाः, संयोगविनाशेभ्यश्च कार्यद्रव्यं विनश्यति' अर्थात् उन क्रियाओं से परमाणुओं में विभाग उत्पन्न होते हैं, उन विभागों से संयोगों के नाश उत्पन्न होते हैं, संयोग के उन विनाशों से दूयणुक रूप कार्य द्रब्यों का नाश होता है। तस्मिन् विनष्टे स्वतन्त्रेष्वग्नि
For Private And Personal