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प्रकरणम् ]
भाषानुवादसहितम्
१५६
प्रशस्तपादभाष्यम्
तस्य गुणाः सङ्ख्यापरिमाणपृथकत्वसंयोगविभागाः । काललिङ्गाविशेषादेकत्वं सिद्धम् । तदनुविधानात् पृथक्त्वम् । कारणे काल इति
इसमें संख्या, परिमाण, पृथक्त्व, संयोग और विभाग ये पाँच गुण हैं। कालप्रतीति के ज्ञापक हेतु चूंकि सभी स्थलों में समानरूप से हैं, अतः वह एक ही है। एवं चूँकि उसमें एकत्व संख्या है, अतः पृथक्त्व भी है । "कारणे कालाख्या' ( ७।१।१५) इस सूत्र के बल से इसमें
न्यायकन्दली सर्वकार्याणाञ्चोत्पत्तिविनाशहेतुः । अत्र युक्तिमाह-तव्यपदेशादिति । तेन कालेनोत्पत्त्यादीनां व्यपदेशात् उत्पत्तिकालो विनाशकाल इत्यादिव्यपदेशात् कालस्य तत्र हेतुत्वमित्यर्थः । कार्यान्तरमपि तस्य कथयतिक्षणलवेत्यादि । निमेषस्य चतुर्थो भागः क्षणः, क्षणद्वयेन लवः, अक्षिपक्ष्मकम्र्मोपलक्षितकालो निमेष इत्यादिगणितशास्त्रानुसारेण प्रत्येतव्यम् ।
एवं धम्मिणि सिद्ध तस्य गुणान् कथयति-तस्य गुणा इति । कालस्य द्रव्यत्वात् सङ्घयादियोगे सिद्धे तद्विशेषप्रतिपादनार्थमाह-काललिङ्गाविशेषादिति । कालस्य लिङ्गानां युगपदादिप्रत्ययानामविशेषादेकत्वम्, कालस्य भेदे प्रमाणान्तराभावादित्यर्थः । ननु युगपदादिप्रत्ययभेद एव तद्भेदप्रतिपादकः ? नैवम्, कालाभेदेऽपि सहकारिभेदात् प्रत्ययभेदोपपत्तेः । तदनुविधानात् पृथक्त्वमिति ।
'वह सभी कार्यों की उत्पत्ति स्थिति और विनाश जा कारण है। 'तद्वयपदेशात्' इत्यादि से इसी में हेतु देते हैं। 'तेन' अर्थात् उस काल के 'व्यपदेश' अर्थात् व्यवहारों से । अभिप्राय यह है कि इसका यह उत्पत्तिकाल है, इसका यह विनाशकाल है' इत्यादि व्यवहारों से काल में उत्पत्त्यादि तीनों के कारणत्व की सिद्धि होती है। 'क्षणलव' इत्यादि से काल के द्वारा होनेवाले कार्यों को कहते हैं । 'निमेष' का चौथा भाग 'क्षण' है। दो क्षणों का एक 'लव' होता है। आँख के पलकों की क्रिया से उपलक्षित काल को 'निमेष' कहते हैं । ये सभी गणितशास्त्र के द्वारा जानना चाहिए।
इस प्रकार कालरूप धर्मी के सिद्ध हो जानेपर 'तस्य गुणाः' इत्यादि से उसके गण कहे गये हैं। द्रव्यत्व हेत के द्वारा काल में सामान्य संख्यादि की सिद्धि हो जानेपर उसमें विशेष संख्यादि की सिद्धि के लिए काललिङ्गाविशेषात्' यह हेत वाक्य लिखते हैं। अभिप्राय यह है कि काल की ज्ञापक योगपद्यादि विषयक प्रतीतियाँ सभी कालों में समान रूप से हैं, अतः 'काल' एक ही है। काल में अनेकत्व का ज्ञापक कोई प्रमाण भी नहीं है। (प्र.) यौगपद्यादि की विभिन्न प्रतीतियाँ काल
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