Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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भावाथे
पंचमाङ्ग विवाह पण्णाति (भगवती ) मूत्र <agin
विणिवटणया, विवित्तसंयणासणसेवणया, सोइंदिय संवरे जाव फासिदिय संवरे, 'जोगपच्चक्खाणे. सरीरपच्चक्खाणे, कसाय पच्चक्खाणे, संभोगपञ्चक्खाणे, उवहि पच्चक्खाणे, भत्तपच्चक्खाणे, खिमा, विरागता, भावसच्चे, जोगसच्चे, करणसच्चे, मण
|२२७५ समण्णाहरणया, वइसमण्णाहरणया, कायसमण्णाहरणया, कोहविवेगे जाव
मिच्छादसण सल्लविवेगे, णाण संपण्णया, दसण संपण्णया, चरित्त संपण्णया, वेदण ~१३ गरू और स्वधर्मियों की सेवा भक्ति से ४ लगे पाप की आलोचना से ५ आत्मा की साक्षी में निंदा
करने से ६ गुरु की साक्षिस गर्दा करने से ७ सब जीवों की साथ क्षमाभाव करने से ८ श्रुत ज्ञान की साहायता से १ क्रोध का उपशम से १० अप्रतिबंधपना से ११ असंयम की निवृत्ति से १२ स्त्री पुरुष व पंडग रहित स्थान भोगने से १३-१७ पांचों इन्द्रियों का संवर करने से १८ मनादि योग को पाप
मार्ग में प्रवर्तीने का प्रत्याख्यान करने से ११ शरीर की शुश्रूषा कराने का प्रत्याख्यान करने से है १२० क्रोधादि कषाय के प्रत्याख्यान से २१ एक मंडल पर अन्य साधु साथ आहार पानी भोगने से ।
२२ वस्त्र पात्रादि उपधि का प्रत्याख्यान करने से २३ आहार के प्रत्याख्यान से २४ क्षमा भाव धारने से १२५ वैराग्य भाव धारने से २६ भावों की सत्यता से २७ योगों की सत्यता से २८ प्रतिलेखनादि क्रिया की ।
ना से २९ मन को आगम मार्ग में प्रवर्ताने से ३० वचन को आगम मार्ग में प्रवर्ताने से ३१ काया कोई
सत्तरहवा शतक का तीसरा उद्देशा११