Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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उसिणा देसाणिहा देसालुक्खा ८ । देसा सीया देसे उसिणे देसेणिद्धे देसेलुक्खे ९ । एवं एए चउफासे सोलस भंगा भाणियब्वा जाव देसा सीया, देसाउसिणा देसा णिद्धा देसा लुक्खा, सब्वे एते फासेसु छत्तीसं भंगा ३६, २२२ ॥ ४ ॥ पंच पएसिएणं
| २४४३ भंते ! खंधे कइवण्णे जहा अट्ठारसमसए जाव सिय चउफासे पण्णत्ते ॥ जइ एगवण्णे एगवण्ण दुवण्णा जहेव च उप्पसिए ॥ जइ तिवण्णे सिय कालएय णीलएय लोहिय
एय १, सिय कालएय णीलएय लोहियगाय २, सिय कालएय णीलगाय लोहिभावार्थ
। देश ऊष्ण बहुत देश स्निग्ध व देश रूक्ष ८ देश शीत बहुत देश ऊष्ण बहुत देश स्निग्ध व बहुत देश रूक्ष
९ बहुत देश शीत देश ऊष्ण देश स्निग्ध देश रूक्ष १० ऐसे ही चार स्पर्श के सोलह भांगे कहना यावत् । | Nire बहुत दश शांत बहुत देश ऊष्ण बहुत देश स्निग्ध व बहुत देश रूक्ष यों सब मीलकर स्पर्श के ३६ भांगे
हुवे. यों चार प्रदेशिक स्कंध में वर्ण के ९०, गंध के ६, रस के ९०, और स्पर्श के ३६ कुल २२२ भांगे हुए ॥ ४ ॥ अहो भगवन् ! पांच प्रदेशिक स्कंध में कितने वर्ण, गंध, रस, व स्पर्श पाते हैं ? अहो गौतम ! जैसे अठारवे शतक में कहा वैसे ही यहां जानना. यावत् चार स्पर्श कहे हैं. यहां एक वर्ण के ५ और दो वर्ण के ४० भांगे जैसे चार प्रदेशिक स्कंध के कहे वैसे ही यहां कहना. यदि तीन ।
पंचमाङ्ग विवाह पण्णत्ति (भगवती) मूत्र
बीसवा शतक का पांचवा उद्दशा 43
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