Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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42 अनवादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी,
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काउलेरसावि ॥ सेउलेस्साणं भंते ! जीवा किरियावादी किं णेरइयाउयं परति पुच्छा ? गोयमा ! णो णेरइयाउयं पकरेंति, गो तिरिक्खजोणियाउयं परेंति, मणु. स्साउयंपि पकरेंति, देवाउयपि पकरेति ॥ जइ देवाइयं पकरेति तहेव ॥ तेउलेस्साणं भंते ! जीवा अकिरियावादी किं णेरइयाउयं पुच्छा ? गोयमा ! णो णेरइयाउयं
पकरैति, तिरिक्ख जोणियाउयंपि पकरेति, मणुस्साउयंपि पकरेंति, देवाउयंपि परेति॥ है एवं अण्णाणिय वादीवि, विणइय वादीवि, अहा तेउलेस्सा, एवं पम्हलेस्सावि सुक्क
लेस्सावि णेयव्वा ॥ अलेस्साण भंते ! जीवा किरियावादी किं णेरइयाउयं परति नील व क पुन लेश्या का जानना. अहो भगवन् ! तेजो लेश्या वाले जीव क्रियावादी क्या नारकी का आयुष्य करे वगैरह पृच्छा ? अहो गौतम ! नारकी व तिथंच का आयुष्य करे नहीं परंतु मनुष्य व देव आयुष्य करे. यदि देव का आयुष्य करे तो उपर्युक्त जैसे कहना. अहो भगवन् ! तेजो लेश्या वाले अक्रियावादी क्या भारकी का आयुष्य करे पुच्छा ? अहो गौतम ! नारकी का आयुष्य करे नहीं पर इतिर्यंच, मनुष्य व देव का आयुष्य करे. ऐसे ही अज्ञान वादी विनषवादी का जानना. तेजो लेश्या मैं पद्य व शुक्ल लेश्या का जानना. अहो भगमन् ! अलेशी जीव क्रिया वादी क्या नारकी का आयुष्य
.काशक-राजावहादुर लाला मुखदवसहायजी ज्वालाप्रसादजी *
भावार्थ