Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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सूत्र.
भावार्थ
48 अनुवादक- बालत्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी
सम्मत्तं सम्मामिच्छत्तं गाणंच सव्वत्थ णत्थि सेसं तहेव ॥ सेवं भंते ! भंतेत्ति ॥ २ ॥ एवं एत्थवि एक्कारस उद्देसगा कायव्वा, पढमं तइयं पचमं एक्कगमा, सेसा अवि एकगमा || पढमं अभवसिद्धिय महाजुम्मसयं सम्मतं ॥ पण्णरसमं सयं सम्मत्तं ॥४०॥१५॥ कण्हलेस्स अभवसिद्धिय कडजुम्म २ मणि पंचिंदियाणं भंते! कओ उववज्जंति, जहा एएसिं चेत्र ओहियसए तहा कण्हलेस्स संयंपि; णवरं-तणं भंते ! जीवा कण्हलेस्सा ? हंता कण्हलेस्सा, ठिई संचिट्ठणाय जहा कण्हलेस्तसए, सेसं तंचत्र ॥ सेवं भंते ! २ति ॥ वितियं अभवसिद्धिय जुम्मसयं ॥ सोलसमं
(सममिथ्यात्व दृष्टि व ज्ञान किसी स्थान नहीं हैं वैसे कहना. शेष वैसे ही. अहो भगवन् ! आपके वचन { सत्य हैं ॥ २ ॥ यों यहां पर भी अग्यारह उद्देशे कहना. पहिला, तीसरा व पांचवा का एक गया और शेष आठका एक गमा. यों पहिला अभवसिद्धिक महायुग्म नामक शतक संपूर्ण हवा ॥ १५ ॥ ÷
•पाक राजावादुर लाला सुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी
? हां
अहो भगवन् ! कृष्ण लेश्यावाले अभवसिद्धिक कृतयुग्म मंज्ञी पंचेन्द्रिय कहाँ से उत्पन्न होते हैं ? यो जैसे इस का औधिक उद्देशा कहा वैसे ही कहना परंतु अहो भगवन् ! वे क्या कृष्ण लेश्यावाले [गौतम ! वे कृष्ण लेश्यावाले हैं. स्थिति लेश्या कृष्ण लेश्या शतक जैसे कहना. अहो भगवन्! आपके वचन मत्य हैं. यह दूसरा अभत्र सिद्धिक महायुग्म शतक संपूर्ण हुआ. यह सोलहवा शतक संपूर्ण हुवा ||४०|| १३ ||
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