Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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भगववी ) भूत्र 4
सेवं भंते २ ति ॥ ११ ॥ ७ ॥ .. * कण्हलेस्स कलिओगेहिवि एवं चेव उद्देसओ परिमाणं संवेहो य जहा ओहिएष उद्देसएसु । सेवं भंते रत्ति॥४३॥८॥ जहा कण्हलेरसेहिं एवं णीललेस्सेहिवि चत्तारि उदेसगा भाणियव्या मिरवसेसा, णवरं णेरइयाणं उववाओ जहा बालुप्पभाए ॥ सेसं तंचेव ॥ सेवं भते २त्ति ॥४७॥१२॥ काउलेरसहिवि एवं चेव चत्तारि उद्देसगा कायव्वा, णवर णेरइयाणं उववाओ जहा रयणप्पभाए सेसं तंचेव ॥ सेवं भंते २त्ति ॥४१॥१६॥ + ॥ तेउलेस्स रासीजुम्म
कडजुम्म अमुरकुमाराणं भंते ! कआ उववजति ? एवं चत्र णवरं जेसु तेउलेस्सा
॥४॥॥ कृष्ण लेश्यावाले द्वापर युग्म की साथ वैसे ही उद्देशा कहना ॥ ४१ ॥ ७॥ + भावार्थ IE, कृष्ण लेश्या वाले कल्योज की साथ वैसे ही उद्दशा कहना परिमाण संबंधे औधिक जैसे. अहो भगवन !
आपके वचन मत्य हैं ॥ ४१॥ ८॥ + ॥ जैसे कृष्ण लेश्या के चार उद्देशे कहे हैं
से ही नील लेश्या के चार उद्देशे कहना. परंतु नारकी का उपपात बालुप्रभा जैमे कहना. शेष वैसे ही ITहो भगवन् ! आपके वचन सत्य हैं ॥ ४१ ॥ १२॥ ४ ॥ कापोत लेश्या की साथ भी 18से ही चार उद्देशे कहमा. परंतु नारकी का उपपात रत्नप्रभा जैसे कहना. अहो भगवन् ! आपके
पवन सस्य हैं ॥ ४१ ॥ १६ ॥ तेजो लेश्यावाले राशि कृतयुग्म अमुरकुमार कहां से उत्पन्न होते हैं ?
488+ एकतालीममा शतक का ८-१३ उ
पणति
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