Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari

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Page 3108
________________ मुत्र 143 पवयणदेवी, संतिकरं तं नमसामि ॥ २ ॥ सुयदेवयाए जक्खा, कुंड धम्मो बंभसति । विरोट्टा ॥ विजाय अंतिहुंडी, देउ अविग्धं लिहं तस्स ॥ ३ ॥ इति श्री विवाह 14 पन्नत्ती सूयं मम्मत्तं ॥ इक्कीस एक दिन में और रात्रियुग्म महा शतक एक दिन में कहना ॥ १॥ विकसित कमररूप हावाली तिमिर को नाश करनेवाली काम की अधिषा देवी मुझे भी सदैव मेधा-पण्डितपना देवो ॥ १॥ जिन के प्रसाद से ज्ञान ग्रहण किया जाता है. उन श्रुत देवता को नमस्कार होतो. और अन्य शांति करनेवाली प्रवचन देवी को मैं नमस्कार करता हूं। SERIEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEERRITAGES-Ge . प्रकाशक-राज़ाबहादुर लाला सुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी * 48 अनुवादक-बालबमबारी मुनि श्री अमोलक ऋषि भावार्थ PERCENSEEEEEEEEEcredies • इति पञ्चमाङ्ग ॥विवाह पण्णत्ति (भगवति) सूत्र समाप्तम्।। FeeSEACHEEMEERCEMEEEEE Maaaaaaaa-999999996 विराब्द २४४४ वैशाख कृष्ण पक्ष ४ मंगलबार RaaaaaaaaaaaaaaSERESCENCERABARDS

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