Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
View full book text
________________
AST
IN
विवाह एण्णत्ति ( भगवती) सूत्र Ragda
भवसिद्धिय रासीजुम्म कडजुम्म णेरइयाणं भंते ! कओ उवबज्जति ? जहा आहिय पढमगा चत्तारि उद्देसगा तहेव गिरवसेसं, एए चत्तारि उद्दसगा ॥ सेवं भंते २ति ॥ ४१ ॥ ३२ ॥ * ॥ कण्हलेस भवसिद्धिय रासीजुम्म कडजुम्म णेरइयाणं भंते ! कओ उववज्जति ? जहा कण्हलेस्साए. चत्तारि उद्देसगा भवंति तहा इमेवि भवसिद्धिय कण्हलेस्सेहिं चत्तारि उसगा कायव्वा ॥ ४१ ॥ ३६ ॥ एवं णीललेस्स भवसिद्धियाहवि चत्तारि उद्देसगा ॥ ४१ ॥ ४० ॥ * एवं काउलेस्सहिवि चत्वारि उद्देसगा ॥ ४१ ॥ ४४ ॥ +
भवसिद्धिक राशि कृतयुग्म नारकी कहां से उत्पन्न होवे ? जैस औधिक के पहिले चार उद्देशे कहे। E वैसे ही इस के चार उद्देशे विशेषता रहित कहना. अहो भगवन् ! आपके वचन सत्य हैं ॥ ४१ ॥ ३२ ॥
अहो भगवन् ! कृष्ण लेश्यावाले भवसिद्धिक राशियुग्म कृतयुग्म नारकी कहां से उत्पन्न होते हैं? अहा मौतम ! जसे कृष्ण लश्या में चार उद्देशे कहे वैसे हा यह भी चार उद्दश भवासद्धिक कृष्ण लक्ष्या-14 वाले की साथ कहना ॥ ४१ ॥ ३६ ॥ + नील लेश्यावाले भवसिद्धिक के चार उद्देशे ॥ ४ ॥ ४० ॥ - + ॥कापोत लेश्यावाले भरसिद्धिक के चार उद्देशे ॥ ४१ ॥ ४४ ॥
norammmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmm
800 एकतालीसवा शतक का ३३-४४ उद्दशे 40
भावार्थ