Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari

View full book text
Previous | Next

Page 3090
________________ ३.७१ अनुवादक-बालप्रमचारीमुनि श्री अमोलक ऋषिजी + कडजुम्मा ? जो इणटे समटे॥ जं समयं कडजुम्मा तं समयं कलिओगा, जं समयं कलिओगा तं समयं कडजुम्मा ? णो इण? समटे ॥ ३ ॥ तेणं भंते ! जीवा कहं उववजंति ? गोयमा ! सेजहा णामए पवए पवमाणे एवं जहा उववाएसए जाव णो परप्पओगेणं उबवजति ॥४॥ तेणं भैते ! जीवा किं आयजसेणं उववजंति आयअजसेणं उववजति ? गायमा! णो आय जसेणं उव. वजंति, आय अजसेणं उववजंति, जइ आय अजसेणं उक्वजति किं आयजसं उवजीवंति आय अजसं उवजीवति? गोयमा! णो आयजसं उवजीवंति आय. कृत युग्य उस समय में कल्योज व जिस समय में कल्योज उस समय में क्या कृत युग्म हैं ! अहो गौतम! यह अर्थ भी योग्म नहीं हैं ॥२॥ अहो भगवन् ! वे जीवो कैसे उत्पन्न होते हैं ? अहा गौतम ! जैसे कूदता हुवा जाने वाला यों जैसे उपपात शतक में कहा यावत् परप्रयोग से नहीं उत्पन्न होत हैं. ॥ ४ ॥ अहो. भगवन्! वे क्या आत्मजस से (संयम)स उत्पन्न होते हैं या आत्म अजश(अमेयम से उत्पन्न होते हैं. ? अ गौतम संयम से उत्पन्न होते नहीं हैं परंतु असंयम से उत्पन्न होते हैं.यदि अभंयम से उत्पन्न होते हैं तो क्याई संयमसे उपजीविका करते हैं या असंयमसे उपजीविका करते हैं? अहोगौतम संयमसे उपजीविका करते नहीं हैं। परंतु असंयम से उपजीविका करते. यदि असंयम से उपजीविका करते है तो क्या वे सलेशी होते हैं या Aammaanmmmmmmmmmmmmmmmmmmmm प्रकाशक-राजावहादुर लाला सुखदेवसहायजी ज्वालाप्रमादजी. भावार्थ

Loading...

Page Navigation
1 ... 3088 3089 3090 3091 3092 3093 3094 3095 3096 3097 3098 3099 3100 3101 3102 3103 3104 3105 3106 3107 3108 3109 3110 3111 3112 3113 3114 3115 3116 3117 3118 3119 3120 3121 3122 3123 3124 3125 3126 3127 3128 3129 3130 3131 3132