Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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खेत्ते अपजत्ता वादर तेउकाइयत्ताए उववजित्तए सेणं भंते ! कइ समइएणं विग्गहेणं उववजेजा ? गोयमा ! दुसमइएण वा तिसमइएणवा विग्गहेणं उववज्जेज्जा । से केणटेणं भंते !, एवं खलु गोयमा ! मएसत्तसेढीओ पण्णत्ताओ, तंजहा-उज्जु आयता जाव अडचक्कवाला; एगतोबंकाए सेढीए उववज्जमाणे दुसमइएणं विग्गहेणं उववजेजा दुहओ वंकाए सेढीए उववजमाणे तिसमइएणं विग्गहेणं उववजेजा, से तेणटेणं । एवं पजत्तएस, वायर तेउकाइएमुवि उववातेयव्वा, वाउकाइय वणस्सइकाइयत्ताए
चउक्कएणे भेदेणं जहा आउकाइयत्ताए तहेव उववातेयव्यो २० । एवं जहा अपजत्ता करके जो मनुष्य क्षेत्रमें बाद तेउकाया में उत्पन्न होने योग्य होवे तो कितने समय के विग्रहते उत्पन्न हो? E अहो गौतम ! दो समय अथवा तीन समय के विग्रह से उत्पन्न होवे. अहो भगवन् ! किस कारन
ऐसा कहा गया है ? अहो गौतम ! मैंने सात श्रेणियों कही हैं जिन के नाम जुआयत यावत् अर्ध चक्रवाल. इन में एक बाजु वक्रश्रेणी में उत्पन्न होनेवाला दो समय के विग्रह से उत्पन्न होवे और दोनों
वक्रश्रेणी में उत्पन्न होनेवाला तीन समय के विग्रह से उत्पन्न होवे. इसलिये ऐमा कहा गया है. | ऐसे ही पर्याप्त बादर ते उकाया में उपपात कहना. बायकाया व वनस्पतिकाया के चार भेद में अपकाया.
१ अनुवादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी
* प्रकाशक-सजावहादुर लाला सुखदेवसहायजी ज्वालामसादजी.
मा
र्थ