Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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पंचमात्र विवाह पण्णत्ति (भगवती) सूत्र 428
उमाओं ॥ २ ॥ तेणं भंते ! जीवा एगममएणं केवया उग्वजंति ? गोयमा । सोलमवा संखजवा असंखेजवा, अणंता वा उपवजति ॥ ३ ॥ तेणं भंते ! जीवाममए समए• पुच्छा ? गोयमा ! तेणं अणंता समए समएणं अबहीरमाणा अबहीरमाणा अणंताहिं ओपप्पिणी उस्सप्पिणीहिं अबहीरेति, णो चेत्रणं अबहिरिया .या, उच्चत्तं जहा उप्पलुद्देसए ॥ ४ ॥ तेणं भंते ! जीवा णाणावरणिजस्म कम्मस्म किं बंधगा पुग्छा ? गोयमा ! बंधगा णो अबंधगा, एवं पोसि आउयवज्जाणं, आउयस्त धंधगा
वा अबंधगावा ॥ तेणं भंते ! जीवा णाणावरणिज्जस्स कम्मल वेदगा पुच्छा? गोयमा जैसे उत्मल उद्देशा कहा वैसे ही कहना ॥२॥ अहो भगवन् ! एक समय में कितने उत्पन्न होते हैं ? अहो । गौतम ! वे सोलर, संख्यात, असंख्यात व अनंत त्पन्न होते हैं ॥ ३ ॥ अहो भगवन् ! वे समय २ में . डीन करते २ अपहरते कितने काल में सब का अपहरण होवे ? अहो गौतम ! अनंत असर्पिणी उत्सर्पिणी पर्यना हीन होते हैं.परंतु हीन हुवे ऐसा नहीं होता हैं.उसका ऊंचापना उत्पल उद्देशा जैसे जानना
अहो भगवन् ! वे ज्ञानावरणीय कर्म के क्या बंधक हैं. या अबंध हैं? अहो गौतम : बंधक हैं परंतन धक नहीं हैं. ऐम ही आयुष्य छोड़कर सब का जानना. आयुष्य कर्म के बंधक प्रबंधक दोनों हैं.
पतीमवा शतक का पहिला उद्देशाने
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