Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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पंचमांग विनाह एण्णत (भगवती) मंत्र
तेओया, सेतं तेओग कलिओगे ८, जेणंरासी चउक्कएणं अवहारेणं अवहीरमाणे चउपजवसिए जेणं तस्सरासिस्स अवहार समया दावरजुम्मा, सेतं दावरजुम्म कड जुम्मे ९, जेणं रासी चउक्कएणं अवहारणं अवहीरमाणे तिपजवसिए जेणं तस्सरासिस्स अवहारसमया दावरजुम्मा, सेतं दावर जुम्म तेओगे १०, जेणरासो चउक्कएणं अव. हारेणं अव्हीरमाणे दुपजवासिए जेणं तस्सरासिस्स अवहार समया दावरजुम्मा सेतं दावरजुम्म दाबरजुम्मे ११, जेणंरासी चउक्कएणं अवहारणं अहीरमाणे एगपजसिए जेणं तस्सरासिस्स आहारसमया दारजुम्मा, सेतं दारजुम्म कलिओगे१२,जेणरासी
चउक्कएणं अरहारेणं अबहीरमाणे चउपजसिए जेणं तस्स रासिस्स अबहारसमया चार का भाग देने से शेष चार रहे और उस के विभाग देने के समय द्वापर युग्म दो लगे वह द्वापर चम्म कृतयुग्म १०, जिस राशि को चार का विभाग देने से तीन रहे और अपहार समय दो लगे वह द्वापर युग्म ज्योज है ५१, जिा राशि को चार का भाग देने से शेष दो रहे और अपहार समय दो लगे तो वह द्वापर युग्म द्वापर युग्म होवे १२, जिस राशि को चार का भाग देने से शेष एक है। से और भपहार में समय दो लगे तो वह द्वापर कल्योज होवे, १३, जिस राशि को चार का भाग ।
पेतीसवा शतक का पहिला उद्देशा 488
भावार्थ
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