Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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4.3 अनुवादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी
कलिओगा, सेतं कलिओग कडजुम्मे १३,जेणरासी चउक्कएणं अवहारेणं. अन्हीरमाणे तिपजवसिए जेणं तस्सरासिस्स अवहारसमया कलिओगा सेतं कलिओग तेओगा १४, जेणंरासी चउक्कएणं अवहारणं अवहीरमाणे दुपज्जवसिए जेणं तस्सरासिस्म अवहारसमया ३०१२ कलिओगा, सेतं कलिओग दावरजुम्ने १५, जेणं रासी चउक्कएणं अवहारेणं अवहीर माणे एंगपजवसिए जेणं तस्स रास्सि अवहारसमया कलिओगा से तं कलिओग कलिओगे १६; से तेणटेणं जाव कलिओग कलिओगे ॥ १॥ कडजुम्मा कडजुम्म एगिदियाणं भंते ! कओ उववजंति, किं गैरइय जहा उप्पलुद्देहए तहा
से शेष चार रहे और उस गाशि का अपहार ममय एक गे वह कल्योज कृतयुग्म १४ जिम राशि को चार का भाग दत शेप तीन रहे और अपहार समय एक होवे तो वह कल्याज योज है १५ जिस राशि को चार का भाग देते शेष दो रहे और उप का अपहार समय एक होवे तो वह कल्योज द्वापर युग्म होवे और १६ जिस राशि को चार का विभाग देते शेष एक रहे और अपहार .. समय भी एक होवे तो वह कल्योज कल्योज राशी होये. इमलिये ऐसा कहा गया यावत् कल्योजकल्योज ॥१॥ अहो भगवत् ! कृतयुग्म कृतयुग्म एकेन्द्रिय कहां से उत्पन्न होते हैं ? क्या नारकी में से वगैरह है।
प्रकाशक-राजाबहादुर लाला सुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी.