Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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२०४०
भावार्थ
ऋषिजी + ormerammmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmm 44 अनुवांदक-पालन
खेजावा अणनामा उक्वजति ॥ १४ ॥ कलिओग: दावरजुमेसु छवा संखेजावा : असंखेजावा अणंतावा उववजति १५ ॥ कलिओग कलिओग एगिदियाणं भंते ! कओ उक्वजति? उववाओ तहेब, परिमाणं पंचावा, संखेजावा, असंखेजावा, अणंतावा उववजंति ॥ १६ ॥ सेसं तहेव जाव अणंत खुत्तो ॥ सेवं भंते !. भंतेत्ति ॥ पेतीस इमस्सपढमो ॥३५ ॥ १ ॥ पढमसमय कडजुम्म २ एगिदियाणं भंते ! कओ उववजंति ? गोयमा ! तहेव एवं जहेब पढमो उद्देसओ तहेव सोलस खुत्तो ॥ वितिओवि भाणियव्वो तहेव सव्वं वरं इमाणि दस गाणत्ताणि उत्पन्न होते हैं.३ कल्योज योनमें सात संख्यात असंख्यात व अनंत उत्पन्न होते हैं.४.कल्योज द्वापर में छह संख्यात असंख्यात व अनंत उत्पन्न होते हैं १५.और अहो भगवन कल्यो कल्योज एकेन्द्रिय कहां से. उत्पन्न होते हैं?अहो गौतम ! उपापत वैमे डी.परिमाण पांच.संख्यात असंख्यात व अनंत उत्पन्न होते हैं. शेष वैसे है यावत् अनंतर वक्त१६.अहो भगवन्!आपके वचनसत्य हैं यह तीसवा शसकका प्रथम उद्देशा हुवा ॥३०॥१॥
अहो भगवन् ! प्रथम समय कृत युग्म एकेन्द्रिय कहाँ मे उत्पन्न होते हैं ? अहो गौतम ! जैसे पहिला उहया कहा वैसे ही सोलहवार दूसरा उद्देशा कहना, वैसे ही सब कहना, विशेषता में अवगाहना जघन्य ।।
.प्रकाशक रानाबहादुर लाला सुखदेवमहायजी ज्वालाप्रसादजी*
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