Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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सूत्र
भावार्थ
+8+ पंचांग विवाह पण्नति ( भगवती ) मूत्र +
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हिंवि तहेव एक्कारस उद्देसगासंजुत्तं सयं एवं एयाणि चत्तारि भवसिद्धिय सयाणि चउसुत्रि सएमु सव्वपाणा जात्र उबवण्णापुव्वा ? णो इणाट्ठे समट्ठे ॥ सेवं भंते ! २ त्ति । अटुमं एगिंदिय सयं महा जुम्मं ॥ ८ ॥ X ॥ भवसिद्धिएहिं चत्तारि सयाई भणियाई, एवं अभवसिद्धिएहिवि चसारि सयाणि लेस्सासंजुत्ताणि भाणियव्वाणि ॥ सव्वपाणा तहेव ? णो इणट्ठे समट्ठे ॥ एवं एयाणि बारस एगिंदिय महाजुम्म सयाई भवंति ॥ सेवं भंते ! भंतेति ॥ पंचतीसइमं सयं सम्मतं ॥ ३५॥* सत्य हैं || ३५ ॥ ७ ॥ || कापुत लेश्या वाले भवसिद्धिक एकेन्द्रिय की साथ उपर्युक्त अग्यारह उद्देशे कहना, यों चार भवसिद्धिक के शतक चारों शतक में सब प्राणी यावत् पहिने उत्पन्न हुवे क्या? अहो {गौतम ! यह अर्थ योग्य नहीं हैं अहो भगवन् ! आपके वचन सत्य हैं यों अठवा एकेन्द्रिय महायुग्म (नामक शतक संपूर्ण हुवा. ॥ ३५ ॥ ८ ॥
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| जैसे भवतिद्धिक के चार शतक क वैसे ही असिद्धिक के भी चार शतक लेश्या सहित कहना. सब प्राणियों उत्पन्न हुने क्या ? यह अर्थ योग्य नहीं हैं. यों एकेन्द्रिय के बारह महायुग्म शतक होते है. अहो भगवन् ! आपके वचन सत्य हैं. पेंतीसवा शतक संपूर्ण हुवा. ॥
३५ ॥
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48* पेंतीसवा शतक का आठवा संदेशा
२०४९