Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
View full book text
________________
-
समा
पंचमांग विवाह पण्णत्ति (भगवती ) सूत्र
एगओवकाए सेढीए उववज्जमाणे दुसमइएणं विग्गहेणं उववज्जेज्जा । दुहओ बकाए सेढीए उववज्जमाणे जे भविए एगपयरंसि अणुरेढी उववज्जित्तए सेणं तिसमइएणं विग्गहेणं उववज्जेज्जा ! जे भविए विसेढी उववज्जित्तए सेणं चउसमइणं विग्गहेणं उववज्जेज्जा, से तेणटेणं जाव उववज्जेज्जा । एवं अपज्जत्त सुहुमपुढवीकाइओ लोगस्स पुरिच्छिमिल्ले चरिमंते समोहए लोगस्स पुरञ्छिमिल्ले चेव चरिमंते अपज्जत्तएसुय सुहुमपुढवीकाइएसु सुहुम आउकाइएसु अपज्जत्तएमु पज्जत्तए सुहम तेउकाइएसु
अरज्जत्तएसु पजत्तायपुय,सुहुम वाउकाइएसुय अपजत्तएम पजत्तएसुय, वादर वाउकाइ. अहो भगवन् ! किस कारन से ऐसा कहा कि एक समय यावत् उत्पन्न होवे ? अहो गौतम ! मैंने सात श्रेणियों प्ररूपी हैं जिनके नाम ऋतु आयता यावत अर्घ चक्रवाल इम में ऋजु आयता श्रेणी से उत्पन्न होने एक समय के विग्रह से उत्पन्न होवे, एक बाजू वक्र की श्रेणी से उत्पन्न होते दो समय के विग्रह से उत्पन्न होवे और दो बाज़ वक्र की श्रेणी में उत्पन्न होते जो एक प्रतर वाली ऋजुश्रेणी में उत्पन्न होवे वह तीन समय के विग्रह से उत्पन्न होवे. जो विश्रेणी से उत्पन्न होवे वह चार समय के विग्रह से उत्पन्न होवे. इसलिये यावत् उत्पन्न होवे. ऐसे ही अपर्याप्त सूक्ष्म पृथ्वी काया लोक के पूर्व के चरिमांत में मारणांतिक समुद्रात
चौतीसवा शतक का पहिला उद्दशा
मावाये