Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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सूत्र
भावार्थ
48+ पंचमाङ्ग विवाह पण्णा ( भगवती ) सूत्र
तिरिक्ख पुच्छा ? गोयमा ! णेरड्याउयंवि पकरैति जाव देवाउयंवि पंकरैति ॥ एवं अण्णाणिय वादीवि, वेणइयवादीवि || सलेस्साणं भंते! जीवा किरियाबादी किं रइयाउयं पकरैति पुच्छा ? गोयमा ! जो मेरइयाउयं एवं जहेब जीवा तत्र सलेस्सावि चउहिंचि समोसरणेहिं भणियस्वा ॥ कण्हलरमाणं भंते ! जीवा किरिया बादी किं णेरड्यायं पंकरेति पुच्छा ? गोयमा ! णो णेरइयाउयं पकरेंति, णो तिरिक्ख जोणियायं पकरेंति, मणुस्साउयं पकरैति णो देवाउयं पकरेति ॥ अकि रिया- अण्णाणिय- वेणइय वादीय चत्तारिवि आउयं पकरेंति ॥ एवं नीललेस्साचि ॥
यावादी जीव क्या नारकी, तिर्यच, मनुष्य या देव का आयुष्य करते हैं ? अहो गौतम : नारकी का यावत् देवताका यो चारोंगति का आयुष्य करते हैं. ऐनेही अज्ञानवादी व जिवयवादी को जानना. अहो भगवन् सिलेशी क्रियावादी क्या नास्की का आयुष्य करे पृच्छा ? अहो गौतना नारकी का आयुष्य करे नहीं, यों जैसे समुच्चय जीव का कहा वैसे ही सलेश्या के भी चारों समोतरण कहना. अहो भगवन्! कृष्ण लेश्यावाले) क्रियावादी क्या नारकी का आयुष्य करे पृच्छा ? अहो गौतम! नारकी, तिर्यच व देवका आयुष्य करे नहीं परंतु मनुष्य का आयुष्य करे. अक्रियावादी, अज्ञानवादी व विनयवादी चारों गतिका आयुष्य करे. ऐसे ही ।
4 तीसत्रा शतक का पहिला उद्देशे
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