Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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विवाह पण्णत्ति (भगवती) मूत्र angry
भवसिद्धियां अभवमिद्धिया ? गोयमो ! भवसिाईया णो अभवसिद्धिया ॥ अकिरिया : वादीणं भंते ! जीवा किं भवसिद्धिया पुच्छो ? गोयमा ! भवसिद्धियावि अभवसि.. द्धियावि ॥ एवं अण्णाणिय वादीवि, वेणय वादीवि ॥सलेस्टाणं भंते जीवा किरिया . २९५१ . वादी किं भवसिद्धिया पुच्छा?गोयमा! भवसिद्धिया णो अभवसिद्धिया। सलेस्साण भंते! .
जीवा अकिरियावादी किं भवसिाहियापुच्छा?गोयमा! भवसिद्धियावि अभवासद्धियावि ॥ एवं अण्णाणियवादीवि ॥ वेणइय वादीवि ॥ सलेस्साणं भंते ! जीवा किरियावादी किं भवसिहिया पुच्छा ? गोयमा ! भवसिद्धिया, णो अभवसिद्धिया । सलेस्साणं भंते!
जीवा अकिरियावादी किं भवसिद्धिया पुच्छा ? गोयमा भवसिद्धियावि अभवसिद्धियावि और अभत्रसिद्धिक भी है. ऐसे ही अज्ञानवादी व विनवादी. का जानना. अहो भगवम् ! सलेशी क्रियावादी क्या भवसिद्धिक हैं या अभवसिद्धिक हैं ? अहो गौतम ! भवसिद्धिक हैं परंतु अभवसिद्धिकी . नहीं हैं. अहो भगवन् ! सलेशी अक्रियावादी क्या भवमिद्धिक या अभवमिद्धिक पृच्छा ? अहो गौतम ! भवसिद्धिक और अभवसिद्धिक. दोनों हैं. ऐसे ही अज्ञानवादी व विनयरादी का जानना. जैसे सलेशी का कहा वैसेठ शुक्ललेशी पर्यंत कहना. अहो भगवन् ! सलेशी क्रियावादी क्या भवसिद्धिक या अश्वसिक हैं! अहो गतम ! भवसिद्धिक है परंतु अभवसिद्धिक नहीं हैं. ऐसे ही इस अफिलाप से कृष्ण पक्षी के तीनों ।
* 48 तीसवा शसक का पहिला उद्दशा 48
भावार्थ