Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
View full book text
________________
* एकत्रिंशतम् शतकम् * सायगिहे जाव एवं वयासी कइण भंते ! खुडाग जुम्मा पण्णता ? गोयमा ! चत्तारि खुडाग जुम्मा ५० तंजहा कडजुम्मे, तेओगे, दावरजुम्मे, कलिओए ॥ १ ॥ से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ चत्तारि खुड्डाग जुम्मा, पण्णत्ता तंजहा कडजुम्मे, जाव कलिओए ? गोयमा ! जेणं रासीचउक्कएणं अवहारेणं अबहीरमाणे चउपज
बसिए सेत्तं खट्टाग कडजुम्मे, जेणं रासी चउक्कएणं अवहारेणं अवहीरमाणे तिप
है जवसिए सेत्तं खड़ाग तेओगे; जेणं रासी चउक्कएणं अवहिरमाणे दुपजवसिए सेत्तं भावार्थ
तीसवे शतक में चार समवसरण कहे. अब इस इकतीसवे शतक में चार आदि संख्या का कथन करते : राजग नगर के गुणशील उद्यान में श्री श्रमण भगवंत महावीर स्वामी को नंदना नमस्कार कर श्री गौतम! स्वामी पुछने लगे. अहो भगवन् ! क्षुल्लक (छोटे) युग्म कितने कहे हैं? अहो गौतमः चार क्षुल्लक युग्म कहे हैं. जिन के नाम. कृत युग्म, त्रेता, द्वापरयुग्म व कलियुग्म. ॥१॥ अहो भगवन् ! किस कारन से कृत
युग्म यावत् कलियुग्म चार क्षुल्लक युग्म कहे हैं ? अहो गौतम ! जिस राशि में से चार २ कम करते जाते ok ole शेष चार रहे सो क्षुल्लक कृत युग्म, जिस राशि में से चार २ कम करते २ शेप तीन रहे सो क्षुल्लक त्रेता,
जिस राशि में से चार २ कम करते २ दो शेष रहेसो क्षुल्लक द्वापरयुग्म और जिस राशिमें से चार २ कम
(भगवती) सूत्र विवाह पण्णत्ति
48+ एकतीसवा शतक का पहिला उद्देश 488
- पंचमा
-