Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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विवाह पश्यत्ति ( भगवती ) सूत्र 4884
रोश्वग्णग सहम : पुढवीकाइयाणं. भंते ! कइकम्मपगडीओ. ? गोयमा !. अट... कम्मपगडीओ प.तं. गाणावरणिजं जाव अंतराइयं । अणंतरोववण्ण बादर पुढवीकाइयाणं भंते ! कइकम्मपगडीओ पगोयमा ! अट्ठकम्मपगडीओ प० तंजहाणाणा वरणिजंजाव अंतराइयं,एवं चेव,एवं जाब अर्णतरोववण्णग वादर वणस्मइकाइयाणंति अणंतरोवनण्णग सुहुम पुढवी काइयाणं भंते ! कइ कम्मप्पगडीओ बंधति? गोयमा! आउवजाओ सत्तकम्मपगडीओ बंधति ॥ एवं जाव अणंतरोक्षण्णग वादर वणस्सइ .
तेजीसवा शतकाका पहिला उद्देशा
भावाप्रवीकाया व बादर पृथ्वीकाया. इस में विशेषता यह है कि अनंतर सो प्रथम समय में उत्पन हुवे पृथ्वी
काया: अपर्याप्त ही रहते हैं इसलिये पर्याप्त के अभाव से दो ही भेद पाते हैं. अहो. भगवन् ! अनंतरोF मूक्ष्म पृथ्वीकाया को कितनी कर्म प्रकृतियों कही ? अहो गौतम ! आठ कर्म प्रकृतियों कहीं. जिन के
नाव-बानावरणीय यावत अंतराय. अहो भगवन् ! अनंतर बादर पृथ्वी काया को कितनी कर्म प्रकृतियों कही ! अहो गौतम ! ज्ञानावरणीन यावत् अंतराय, यो आठ कर्म प्रकृतियों कहीं. ऐसे ही अनंतरोत्पमा
बादर वनस्पतिकीयां तक जॉनना. अही भगवन् ! अनंतरोपन मूल्य पृथ्वीकाया. कितनी कर्मः प्रकृतियों 1 वां जहाँ गौतम ! आयुष्य वर्ष का. सति कर्म प्रकृतियों बांधे ऐसे ही अनंतरोत्पत्रक पावर बसस्पति