Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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विवाह पण्णत्ति (भगवति) सूत्र 480
पुच्छा ? गोयमा ! णो गैरइयाउयं पकरेंति, णो तिरिक्ख णो मणुस्स : णो देवाउयं परेंति ॥ कण्ह पक्खियाणं भंते ! जीवा अकिरियादी किं णेरइयाउयं पुच्छा ? गोयमा! गरइयाउयंपि पकरेंति ॥एवं चउविहंगिा एवं अण्णाणिय वादीवि, वेणइयवादीवि ॥ २९५३ मुमुक्कापक्खिया जहा सलेस्सा ॥ सम्मदिट्ठीणं भंते! जीवा किरिया बादी किं णेरइयाउयं पुच्छा ? गोयमा! णो णेरइयाउयं पकरेलि, णो तिरिक्ख जाणियाउयं पकरोते, मणुस्साउपि पकरेति, देवाउयंपि पकरेंति ॥ मिच्छट्ठिी जहा कण्ह पक्खिया । सम्मामिच्छट्ठिीणं भंते! जीवा अण्णाणियवादी किं णेरइयाउयं? जहा अलेस्सा ॥ एवं वेणइय वादीवि॥ पृच्छा ? अहो गौतम ! नारकी तिर्यच मनुष्य व देव चारोंही गति का आयुष्प करे नहीं, क्योंकी अलेशी । सिद्गति में ही जाते हैं, अहो भगवन् ! कृष्ण पक्षिक अक्रियावादी क्या नारकी का आयुष्य करे पच्छा अहो गौतम ! नारकी आदि चारोंगति का आयुन्य करते .. ऐसेही अज्ञानवादी व पिनयबादी का जानना.। शुक्ल पक्षिक का सलशी जैसे कहना. अहो भावन् ! समदृष्टि क्रिया वादी क्या नारकी का अयुष्प करे. पच्छा ?अहो गौतम! नारकी का आयुष्य करे नहीं तिथंच का आयुष्य करे नहीं, परंतु मनुष्य का आयुष्य करे व देवका भायुष्य करे. मिथ्यादृष्टि का कृष्ण पक्षिक जैसे कहना. सममियादृष्टि अज्ञानवादी जीव क्याई ।
तीसवा शतक का पहिला उद्देशा
भावार्थ
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