Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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सूत्र
भावार्थ
+ पंचांगविवाद पण्णति ( भगवती ) सूत्र
अगा जहा अलेस्सा। सकलाई जाव लोभकसाई जहा सलैस्सा अक्साई जहा अलेस्सा || जोगी जाव कायजोगी जहा सलेस्सा, अजोगी जहा अलेस्सा ॥ सागारोव उत्ताय अगागाविउत्ताय जहा सलेस्सा || ३ || किरिया बादीणं भंते ! णेरइया कि णेरड्या उच्छा ? गोयमा ! जो परइयाउयं णो तिरिक्ख जोणियाउयं फकरेंइ, मणुस्साउयं करेs, णो देवाउयं पकरेइ || अकिरिया वादीणं भंते ! णेरड्या पुच्छा ? गोयना ! णो णेरइयाउयं पकरेइ, तिरिक्ख जोणिया उयंपि पकरेइ, मणुस्साउयंपि पकरेइ, णो देवाउयंपि पकरेइ ॥ एवं अण्णाणिय वादीवि ॥ वेणइय
नपुंसक वेदक का सलेशी जैसे कहना. अवेदीका अलेशी जैसे कहना. मकपायी यावत् लोभ कपायी का मलेशी जैते, अकषायी का अलेशी जैसे, सयोगी यावत् काया योगी का मलेशी जसे कहना, अयोगी का अलेशी जैस कहना. समारोपयोग व अनाकारोपयोग का सलेशी जैसे कहना ॥ ३ ॥ अहो भगवन् ! क्रियावादी नारकी क्या नारकी का आयुष्य करे वगैरह पृच्छा ? अहो गौतम ! क्रियावादी नारकी नरक तिर्यच व देव का आ{युष्य करे नहीं परंतु मनुष्य का आयुष्य करे, क्यों कि नारकी नरकका व देव का आयुष्य बाँध सकते नहीं और क्रियावादी नारकी समदृष्टि होने से तिर्येच का आयुष्य भी बांध सके नहीं, इस से मात्र एक मनुष्य
405 सीसवा शतकका पहिला उद्देशा 498
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