Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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सूत्र
भावार्थ
पंचमांग विवाह पष्णत्ति ( मगवती ) सूत्र
उवसामएवा, खड्एवा भावे होजा ॥ सिणाए पुच्छा ? गोयमा ! खइए भावे होजा ॥ ३५ ॥ पुलायाणं भंते ! एगसमएणं केवइया होज्जा ! गोयमा ! पंडिवजमाणए डुच्च सिय अस्थि सि णत्थि ॥ जइ अस्थि जहण्णेणं एक्कोवा दोवा तिष्णित्रा, उक्को सयपुहत्तं पुण्वपडिवण्णए पडुच्च सिय अत्थि सिय णत्थि ॥ जइ अस्थि जहणेणं एक्कोवा दोवा तिण्णिवा, उक्कोसेणं सहस्स पुहत्तं ॥ वउसाणं भंते! एगसमएणं पुच्छा ! गोयमा ! पडिवजमाणए पडुच्च सिय अस्थि सिय णत्थि ॥ जइ अत्थि जहृण्णेणं एक्कोबा दोवा तिष्णिवा, उक्कोसेणं सयपुहत्तं, पुव्त्रपडित्रण्णए पडुच्च जहण्जेणं.
की पृच्छा, अहो गौतम ! स्नातक क्षायिक भाव में होवे ॥ ३५ ॥ परिमाणद्वार. अहो भगवन् ! पुलाक ( एक समय में कितने होवे ? अहो गौतम ! प्रतिपद्यमान आश्री स्यात् होवे और स्यात् न होवे. यदि होवे तो जघन्य एक दो तीन उत्कृष्ट प्रत्येक सो, पूर्व प्रतिपन्न आश्री स्यात् होवे स्यात् न होवे यदि होवें तो जघन्य एक दो तीन उत्कृष्ट प्रत्येक हजार बकुश की पृच्छा, अहो गौतमः ! प्रतिपद्यमान आश्री स्यात् होवे स्यात् न होवे.. यदि होवे तो जघन्य एक दो तीन उत्कृष्टः प्रत्येक सो, पूर्व प्रतिपण आश्री जघ-} व्य प्रत्येक शतकोटी उत्कृष्ट भी प्रत्येक शतकोटी. ऐसे ही प्रतिक्षेत्रना कुशील का जानना. कषाय कुशील
4 पच्चीसा शतकका छट्ठा उदेशा 438
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