Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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वइविणए ॥ से किंतं कायविणए ! कायविणए दुविहे प० तंजहा-पसत्थकायविणएय, अप्पसत्थकायविणएय॥ से किंतं पसत्थ काय विणए ? पसत्थकायविणए सत्तविहे ५० तंजहा-आउत्तंगमणं, आउत्तंट्ठाणं, आउत्तणिसीयणं, आउत्तं तुयदृणं, आउत्तंउल्लंघणं, आउत्तंपल्लंघण,आउत्तं सबिदिय जोगजंजणया,सेत्तं पसत्थकायविणए।से किंतं अप्पसत्थ कायविणए ? अप्पसत्यकायविणए सत्तविहे प० तंजहा-अणाउत्तंगमणं जाव
अणाउत्तं सबिंदिय जोगजुंजणया ॥ सेतं अप्पसत्य कायविणए । सेत्तं कायविणए ॥ काया विनय किसे कहते हैं ? काया विनय के दो भेद कहे हैं ? प्रशस्त काया विनय और अप्रशस्त काया विनय. प्रशस्त काया विनय किस कहते हैं? प्रशस्त काया विनय के सात भेद. उपयोग सहित जावे, उपयोग सहित खडारहे, उपयोग सहित वैठे, उपयोग सहित शयन करे, उपयोग सहित उल्लंघन करना, उपयोग सहित पीछा उल्लंघ, और उपयोग सहित सब काया योगों को प्रयुंने. यह प्रशस्त काया विनय हुवा. अप्रशस्त काया विनय किसे कहते है ? अप्रशस्त काया विनय के सात भेद कहे हैं... उपयोग विना जाना.यावत् उपयोग विना सब इन्द्रियों के योगों को प्रयुंजना. यह अप्रशस्त काया विनय हुवा. यह काया विनय हुवा. लोकोपचार विनय किसे कहते हैं ? लोकोपचार विनय के सात भेद कहे हैं. १
488 पंचांग विवाह पण्णत्ति ( भगवती ) मूत्र
488 पच्चीसवा शतक का सातवा होता
वार्थ