Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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सूत्र
भावार्थ
42 अनुवादक बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी
एवं एएणं कमेणं जहेब बंधिसए उद्देसगाणं परिवाडी तहेव इहंपि अट्ठसु णेयब्बा, णवरं जाणियन्त्रं जं जस्स अत्थे तं तस्स भाणिवां जात्र चरिमुद्देसो ॥ सब्वेवि एक्कारस उद्देसगा ॥ सेवं भंते भंते त्ति | जाव विहरइ || कम्म समज्जिणण संयं सम्मत्तं ॥ अट्ठावीसइमं सयं सम्मतं ॥ २८ ॥
ऐसे ही इसी क्रम से जैसे बंधि शतक में उद्देशों की परिपाटी कही वैसे ही यहां पर आठ भांगे जानना. जिस में इनता विशेष जिनको जो होत्रे वे उनको कहना. यावत् चरिम उद्देशा पर्यंत इग्यारे उद्देशा उसही { प्रकार संपूर्ण कहना. अहो भगवन् ! आपके वचन सत्य हैं यों कहकर तपयम से आत्मा भावते हुने गौतम स्वामीजी विचरनेलगे. यह कर्म ममार्जित नामक अठावीसत्रा शतक समाप्त हुवा || २८ ॥
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● मात्र राजावादुर लाला सुखदेव सहायजी ज्वालाप्रसादजी
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