Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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गोयमा! किरियावादी,णो अकिरियावदी,णो अण्णाणवदी णो वेणइयवादी॥३॥कण्ह पक्खियाणं भंते ! जीवा किं किरियावादी पुच्छा? गोयमा! णो किरियावादी, अकिरियावादी,
अण्णाणियबादीवि,वेणइयवादीवि।सुक्कपक्खिया, जहा सलेस्सासम्मद्दिट्टी जहा अलेस्सा, मिच्छाहिट्ठी जहा कण्हपक्खिया, सम्मानिच्छादिट्ठीणं पुच्छा ? गोयमा ! णो किरियावादी णो अकिरियावादी, अण्णाणिय बादीवि, वेणइय वादीवि ॥ सणाणी जाव केवलणाणी जहा अलेस्सा ॥ अण्णाणी जाव विभंगणाणी जहा कण्हपक्खिया ।
आहारसण्णवउत्ता जाव परिग्गहसण्णावउत्ता जहा सेलेस्सा, जोसण्णावउत्ता भावार्थ
अहो गौतम! अलेशी क्रियावादी है क्योंकि अॅशी अयोगी व निद होते हैं वे क्रियावादी हेतुभून यथास्थित अ. ट्रव्य पर्याय रूप अर्थ परिच्छेन यक्त होते हैं. परंतु अक्रियावादी, अज्ञानवादी व विनयवादी नहीं हैं. पक्षिक जीवस्या किया ? ! क्रियावादी नहीं परंत अक्रियावादी हैं,अज्ञानवादी
व विनयवादी भो . शुक्ला...... . ... उमष्ट का अशी जैमा कहना, मिथ्यादृष्टि का कृष्ण aal of पक्षिक जैसे कहना. सममिथ्याष्टि की पृच्छा! अहो गौतम ! क्रियावादी नहीं हैं. व अक्रियावादी नहीं हैं परंतु
अज्ञानवादी व-विनयवादी हैं. सज्ञानी यावन् केवल ज्ञानी का अलेशी जैसे कहना. अज्ञानी यावत् विभंग ।
विवाह पण्णत्ति ( मगवती) सूत्र +8
तीसवा शतक का पहिला उद्देशा 982