Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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अनुवादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी
॥ त्रिंशतितम शतकम् ॥ कइणे भंते ! समोसरणा पण्णत्ता ? गोयमा ! चउबिहा समोसरणा पण्ण ता, तंजहा-किरियावादी, अकिरियावादी, अण्णाणिवादी, नेणइय वादी ॥ १ ॥ जीवाणं भंते! किं किरियावादी, अकिरियावादी, अण्णाणियवादी, बेणइयवादी? गोयमा! जीरा किरियावादीवि, अकिरियावादीवि, अण्णाणियवादीवि, बेणइयवादीवि, ॥ २ ॥ सलेस्साणं भंते ! जीवा किं किरियावादी पुच्छा ? गोयमा ! किरिया वादीवि जाव वेणेझ्यवादीवि ॥ एवं जाव सुक्कलेस्सा ॥ अलेस्साणं भंते ! जीवा पुच्छा? मत शतक में कर्म स्थापनादि आश्री जीव विचार कहा यहां पर कर्म बंधादेहेतु भृर वस्तुपाद आश्री जीव विचार कहते हैं. यहां पर अग्यारह उद्देशे जानना. अहो भगान् ! समासरण कितने कहे है? अहो गौतम! चार प्रकार के समयसरण कहे हैं १ क्रियावादी, २ किरियावादी ३ अज्ञानवादी और विनय यादी ॥१॥ अहो भगवन् ! जीवों क्या क्रियावादी हैं, भक्रियावादी है, अज्ञानवादी हैं या विनयवादी हैं! अहो गौतम ! जीवों क्रियावादी भी हैं, अक्रियावादी भी हैं,अज्ञानवादी भी हैं व विनयवादी भी हैं ।।२॥ो भगान् ! मलेशी जीवन की पृच्छ।? अहो गौतम : क्रियावादी हैं यावत् विनयवादी हैं. यो शुक्ल लेश्या पर्यंत कहना. अलेशी की पृच्छा है।
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प्रकाशक-राजाबहादुर लाला मुखदव महायजी उचालाप्रसादजी.
Dammam