Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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42 अनुदकबालब्रह्मचारीमुनि श्री अमोलक ऋषिजी -
अस्थेमइस जी बंधी बंधइ, पंधिस्सइ । अस्थगइए जीवे बंधी बंधइ णबंधिस्सइ २,. अत्यंगइए जीवे बंधी णबंधइ बंधिस्सइ ३, अत्यंगइए जीवे बंधी णबंधइ णबंधिस्सइ ॥ १ ॥ सलेस्सेणं भंते ! जीवे पावकम्मं किं बंधी बंधइ बंधिस्सइ, बंधी बंधइ णबंधिस्सइ, पुच्छा ? गोयमा ! अत्यंगइए बंधी बंधइ बंधिस्सइ, अत्थेगइए एवं चउ• भंगो ॥ कण्हलेरसेणं भंते! जीवे पावं कम्मं किं बंधी पुच्छा?गोयमा! अत्थेगइए बंधी बंधइ बंधिस्सइ, अत्थेगइए बंधी बंधइ णबंधिस्सइ ॥ एवं जाव पम्हलेस्से ॥ सत्वत्थ का बंध कीया, करते हैं व करेंगे, कितनेक जीोंने बंध कीया, बंध करते हैं व बंध नही करेंगे, किसनेक | जीवोंने पंथ कीया बंध नहीं करते हैं व बंध करेंगे और कितनेक जीवोंने बंध कीया बंध नहीं करते हैं बंध नहीं करेंगे ॥१॥ अहो भगवन् ! मलेशीने क्या पापकर्म का बंध कीया, करते हैं. या करेंगे.. अथवा बंध कीया, बंध करते हैं व नहीं बंध करेंगे वगैरह पृच्छा, अहो गौतम ! कितनेकने पापकर्म का बंध कीया, करते हैं व करेंगे कितनेकने पापकर्म का बंध कीया यों चौभंगी जानना. अहो मगवन् ! कृष्ण लेझीने क्या पापकर्म का बंध कीया पृच्छा, अहो गौतम ! कितनेकने बंध कीया, पंप करने हैं व व करेंगे. कितनेकने बंध कीया, बंध करते हैं कबंध नहीं करेंमे ऐसे ही पालख्यातक पहिला कदूमरा
.प्रकाशक राजावहादुर लाला मुखदेवसहायनी माहापसादनी.