Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
View full book text
________________
२९०२
- अनुवादक-धालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक अपि
सयस्स एकदाशम ॥ २५ ॥ ११ ॥ मिच्छदिट्री णेरइयाणं भंते कहं उक्वजंति ? गोयमा ! से जहा णामए पत्रए पव... माणे अवसेसं तंचेव, एवं जाव वेमाणिए ॥ सेवं भंते २ त्ति ॥ जाव विहरइ ॥
पणवीसइमस्स दुवालस्समो ॥ २५ ॥ १२ ॥ पणवीसइमं सयं सम्मत्तं ॥ २५ ॥ भगवन् ! आपके वचन सत्य हैं. यह पच्चीसवा शतक का अग्यारहवा उद्देशा संपूर्ण हुवा ॥२५॥ ११॥ - अहो भगवन् ! मिथ्यादृष्टि नारकी कैसे उत्पन्न होवे ? अहो गौतम ! आठवे उद्देशे में जैसा कहा वैसे ही वैमानिक पर्यंत विशेषता रहित कहना. अहो भगवन् ! आपके वचन सत्य हैं. यों कहकर भगवान गौतम विचरने लगे. यह पच्चीसवा शतक का बारहवा उद्देशा संपूर्ण हुवा ॥ २५ ॥ १२ ॥ यह पच्चीसवा शतक समाप्त हुवा ।। २५ ॥
.प्रकाशक-राजाबहादुर लाला मुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी*
and