Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
View full book text
________________
भावार्थ
पंचांग विवाह णत्ति (भगवती ) सूत्र
;
॥
वा होज्जा, हायमाणपरिणामेत्रा होजा, जो अट्टिय परिणामे होजा : अहक्खाए जहा नियंठे ॥ सामाइयसंजएणं भंते ! केवइयं कालं वडमाण परिणामे होला ? गोयमा ! जहण्णेणं एक्वं समयं जहा पुलाए ॥ एवं जाव परिहारवि• सुद्धिए || सुहुमसंपरायसंजएणं भंते! केवइयं कालं वडमाण परिणामे होज्जा ? गोयमा ! जहणणं एक्कं समयं उक्कासेणं अंतोमुहुत्तं केवइयं कालं हायमाणं परिणामे होजा, एवं चेत्र अहखायसंजएणं भंते! केवइयं कालं वद्रुमाण परिणामे होजा ? गोयमा ! जहणे अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणवि अंतोमुहुप्तं केवइयं कालं अवट्टिय
पृच्छा, श्री गौतम ! वर्धमान परिणाम में होवे अथवा हायमान परिणाम में होने परंतु अवस्थित परिणाम में हांवे नहीं. यथाख्यात का निर्ग्रन्थ जैसे कहना. अहीं भगवन् ! सामायिक संयमी कितना काल तक वर्धमान परिणामी होवे ? अहो गौतम ! जघन्य एक समय यो पुलाक जैसे कहना. यों परिहार विशुद्ध तक कहना. अहो भगवन् सूक्ष्म संपराय संयम को वर्धमान परिणाम कितने काल तक रहे ? अहो ale गौतम ! जघन्य एक समय उत्कृष्ट अंतर्मुहूर्त, कितना काल तक हायमान परिणाम रहे ? अहो गौतम ! वैसे ही कहना. अहो भगवन् ! यथाख्यात को कितने काल तक वर्धमान परिणाम होवे !
அறி
अहो गौतम ! जघन्य
++ पनि शतक का सातवा उद्देशा 40
२८३५