Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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सूत्र
भावार्थ
4880+- पंचमात्र विवाह पण्णति (भगवती) सूत्र +
णिजवए, अवायदंसी ॥ दसविहा सामायारी पण्णताओ तंजहा - इच्छा मिच्छा तहक्कारो आवसियाय णिसीहिया ॥ आपुच्छणाय पाडेपुच्छा, छंदणाय निमंतणा ; उवसंपयायकाले सामायारीभवे दसह ॥ दसविहे पायच्छित्ते पण्णत्ते. तंजहा-आलोयणारिहे, | ६ चारित्र संपन्न - प्रायश्चित्त अंगीकार करे ७ क्षमावंत गुरु उपालम्भ देवे तो भी क्रोध करे नहीं १८ दमितंन्द्रियवाला ९ माया कपट रहित अपराध की आलोचना करनेवाला और १० अपराध की आलोचना करता हुवा पश्चाताप नहीं करनेवाला. आठ गुनवाला अनगार प्रायश्चित्त देने योग्य होवे ? आचारवंत सो ज्ञानादि आठ आचार सहित २ आलोचनावाले दोषों स्मरण में रखनेवाला ३ आगम श्रुतादि पांच व्यवहार में से एक भी व्यवहार जाननेवाला ४ अप्रवीडक अर्थात् लज्जावत भी कोमल मधुर वचनों से लज्जा रहित कर के आलोचना करावे ५ अपराध की आलोचना करने से प्रायच्छित्त देकर विशुद्ध करने में समर्थ ६ अपरिश्रावी - अलोचना करनेवाला जो दोष कहे वे अन्य की पास कहे नहीं ७निर्यापक आलोचक की सामर्थ्यता देखकर प्रायच्छित देनेवाला और८परलोक के पाप से {डरनेवाला. दश प्रकार की समाचारी कहीं २ गुरुआदि की इच्छा होवे वैसा करे २ लगे दोषों का मिथ्या दुष्कृत देवे ३ हितशिक्षा प्रमाण करे ४ कार्यार्थ जाते आवश्यही कहे ५ कार्य से निर्वत कर आते निसीदी कहे ६ अपना कार्य गुरु से पुच्छकर करें ७ अन्य के काम गुर्वादि से पूछकर करे ८ द्रव्यादिक
48* पचीसना शतक का सातवा उद्देशा 49
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