Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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पंचमान क्लिाह पण्णत्ति ( भगवती ) सूत्र
छविहे प०. तंजहा- पायाछित्तं, विणओ, वेयावच्चं, सझाओ, ज्झाणं, विउसरगो ॥ ८ ॥ से किंतं पायच्छित्ते ? पायच्छित्ते दसविहे पण्णत्ते तंजहा-आलोयणारिहे जाव पारंचियारिहे ॥ सेत्तं पायच्छित्ते ॥ ९ ॥ से किंतं विणए ? विणए सत्तविहे पुण्णत्ते, तंजहा-णाणविणए, दसणविणए, चरित्तविणए, मणविणए, वइविणए, कायविणए, लोगोश्यारविणए ॥ से किंतं णाणविणए ? णाणविणए पंचविहे पण्णत्ते तंजहा-आभिणिवोहिय णाणविणए जाव केवलणाणविणए, सेत्तं णाणविणए ॥ से किंतं
दसण विणए ? सणविणए दुविहे प० तं० सुस्सूणाविणएय अणच्चासादणा विणएय। किसे कहते हैं ? आभ्यंतर तप के छ भेद कहे हैं. १ प्रायच्छित्त २ विनय ३ वैय्यावृत्य ४ स्वाध्याय ५ ध्यान और ६ कायोत्सर्ग ॥८॥ प्रायच्छित्न तप किसे कहते हैं ! प्रायच्छित्त के दश भेद कहे हैं आलोचना यावत् पारंचिक. यह प्रायच्छित्त हुवा ॥९॥ विनय तप किसे कहते हैं? विनय के सात भेद कहे। १ज्ञान विनय २ दर्शन विनय ३ चारित्र विनय ४ मन बिनय ५ वचन विनय ६ काया विनय और 984
लोकोपचार विनय. ज्ञान विनय किसे कहते हैं ? ज्ञान विनय के पांच मेद कहे हैं ? आभिनिवोधिक के ज्ञान विनय यावत् केवलज्ञान विनय. यह ज्ञान निनयहवा. दर्शन विनय किसे कहते हैं ? दर्शन विनय के दो ।
8+ पीसवा शतक का सातवा उद्देशा
भावार्थ