Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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48 अनुवादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋपिनी
चरित्तपजवा अणतगुणा, सामाइयसंजयरस छैदोवट्ठावणिय संजयरसय एएसिणं उकोसगा चरित्तपजवा दोण्हवि तुल्ला अणंतगुणा, सुहुमसंपरायस्स जहण्णगा चरित्तपजवा अणंतगुणा, तस्स चेव उक्कोसगा चरित्तपजवा अणंतगुणा, अहक्खायसंजयस्स जहण्पमणुकोसगा चरित्तपजवा अणंतगुणा ॥ १५॥ सामाइय संजएणं भंते ! किं सजोगी होजा, अजोगी होजा ? गोयमा ! सजोगी जहा पुलाए ॥ एवं जाव।
मुहुम संपरायसंजए अहक्खाय जहा सिणाए ॥ १६ ॥ सामाइय संजएणं भंते ! है कि सागारोवउत्ते होज्जा, अणागारोवउत्ते होजा, पुच्छा ? गोयमा ! सागारोवउत्ते पर्यव अनंतगुने, इस से इस के ही उत्कृष्ट चारिष पर्यन अनंतगुने, इस से सामायिक व छोपस्थापनीय के उत्कृष्ट पर्यव दोनों परस्पर तुल्य व.अनंतगुने, इस. से सुक्ष्म संपराय के जघन्य चान्त्रि पर्यव अनंतगुने, इस से उस के उत्कृष्ट चारित्र पर्यव अनंतगुने, इस से यथाख्यात के अजघन्य अनुत्कर्ष चारित्र पर्यव अनंतगुने ॥ १५ ॥ अहो भगवन् ! सामायिक संयमी क्या सयोगी है या अयोगी है ? अहो गौतम! सयोगी है वगैरह पुलाक जैसे कहना. यों मूक्ष्म संपराय पर्यंत कहना. ययाख्यात संयम का सातक जैसे कहना ॥ १६ ॥ अहो भगवन ! सामायिक संयमी क्या साकारोपयुक्त या अनाकारोपयुक्त होवे ? अहो
•प्रकाशा-रामापहादुर लाला, सुखदेवसहायनी मालामसादजी -
भावार्थ