Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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सूत्र
भावार्थ
48 अनुवादक -बालब्रह्मचारीमुनि श्री अमोलक ऋषिजी
होज्जा, जो गिहालिंगे होज्जा, सेसा जहा सामाइयसेजए ॥ ९ ॥ सामाइयसंजएणं भंते! कईसु सरीरेसु होज्जा ? गोयमा ! तिसुवा चउसुवा पंचसुवा होज्जा, जहां कसायकुसीले || एवं छेओवट्ठाबणिएव ॥ सेसा जहा पुलाए ॥ १० ॥ सामाइय संजएणं भंते! किं कम्मभूमीए होजा, अकम्मभूमीए होज्जा ? गोयमा ! जम्मण संतिभावं पडुच्च जहां उसे, एवं छओवावणिएवि परिहारविसुद्धीएय जहा पुलाए सेसा जहा सामाइयसंजए ॥ ११ ॥ सामाइयसंजएणं भंते! किं ओसपिणीकाले
(सलिंगी होवे परंतु अन्यलिंगी या गृहलिंगी होवे नहीं. शेष सब का सामायिक संयम जैसे कहना ॥ ९ ॥ ( शरीरद्वार अहो भगवन् ! सामायिक संयम कितने शरीर में होवे ? अहो गौतम ! तीन, चार अथवा पाँच (शरीर में सामायिक संयम होवे वगैरह कपाय कुशील जैसे कहना. ऐसे ही छेदोपस्थापनीय का कहना. और शेष तब पुलाक जैसे कहना ॥ १० ॥ क्षेत्र द्वार अहो भगवन् ! सामायिक संयम क्या कर्म भूमि में होवे या अकर्म भूमि में होवे ? अहो गौतम ! जन्म और विद्यमानभाव आश्री बकुश जैसे कहना यों छेदोपस्थापनीय का जानना. परिहारविशुद्ध का पुलाक जैसे शेष सत्र का सामायिक जैसे कहना. ॥ ११ ॥ कालद्वार-अहो भगवन् ! सामायिक संयमी क्या अवसर्पिणीकाल में होवे या उत्सर्पिणीकाल में
* प्रकाशक - राजावहादुर लाला सुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी
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