Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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खेजपदेसोगाढाणं पोग्गलाणं दवट्ठयाए पएसट्टयाए दवदृपएसट्टयाए कयरे 'कयरे जाब बिसेसाहियावा ? गोयमा ! सम्वत्थाचा एगपएसोगाढा पोग्गला दवट्ठयाए संखे. जपए मोग ढा पोम्गला दबटूयाए संखेनगुणा, असंखेजपएसोगाढा पोग्गला दबट्टयाए २७२८ असंखे बगुगा ॥ पदेसट्टयाए सम्वत्थोवा एगपदेसोगाढा पंगला पदसट्टयाए संखेज पएसोगाढा पंगला पदेसट्टयाए असंखजगुणा, असंखेजपएसोगाढा पोग्गला पदेस. ट्ठयाए, असखेजगुणा दन्वट्ठपएसट्टयाए सम्बत्योवा, एगपएसोगाढा पोग्गला दबट्ठः शागगाही, संख्यान प्रदेशाग ही व असंख्यात प्रदेशावगाड़ी में द्रव्य से, प्रदेश से व द्रव्य प्रदेश मे कान फिम मे अल्प बहुत यावत विशेषाधिक हैं ? अहो गीतम! मत्र से थोडे द्रव्य आश्री एक प्रदेशावगाही पुल, इम से प्रख्यात प्रदेशावगाही पुद्गल ट्रव्य आश्री संख्यात गुने, इस से असंख्यात प्रदेशावगाती पुल द्रव्य आश्री अमरख्यात गुने. अब प्रदेश आश्री सत्र से थोडे प्रदेश पाश्री एक प्रदेशावगाही पुगल इस से संख्यात प्रदेशावगाही पदल प्रदेश आश्री असंख्यात मने इम से ख्यात प्रदेशा
वग ही पुगलप्रदेश आश्री असंख्यान गुो.. अब द्रव्य प्रदेश आश्री सत्र से थोडे द्रव्य प्रदेश 17 से एक प्रदेशावगाही पुद्गल इस से संख्यात प्रदेशावग.ही पुदल द्रव्य से संख्यात गुना
अनुवादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी -
• प्रकामा रामावादर लारा मुवावमहायमी बालाप्रमादनी .
भावाथ