Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
View full book text
________________
4.3
सुसमा काले होज्जा, मुसमदुस्समा काले वा होजा, दुस्समसुसमा काले वा होजा, णो दुस्समा काले होजा,णो दुस्समादुस्समाकाले होज्जा॥ संतिभावं पडुच्च णोसुसमसुसमाए होजा णो सुसमाए होजा,सुसमदरसमाए होज्जा, दुस्समसुसमाए होज्जा,दुस्समाए होजा,
२८१३ है जो दुस्समदुस्समाए होजा ॥ जइ उस्सप्पिणीकाले होजा किं दुस्समदुस्समाकाले
होजा, दुस्समाकाले होजा, दुस्सम सुरूमाकाले होजा, सुसम दुस्समाकाले होजा, सुसमाकाले होज्जा, सुसम दुस्समाकाले होजा ? गोयमा ! जम्मणं पडुच्च णो दुस्सम
दुसमाकाले होजा, दुस्समाकाले होजा. दुस्समसुसमाकाले वा होजा, सुसम दुस्समा. भावार्थ गौतम ! जन्म आश्री सपम मपम, मुपम, दुपय व दुषम दुषम काल में नहीं होवे परंतु सुषमदुषम 4 ,
दुषम सुषम काल में हो और विद्यमान अवस्था आश्री सुषममुषम, सुपम व दुषमदुषम में नहीं हो परंतु सुषम दुषम, दुषमसुषम व दुषम काल में होवे, यदि उत्मर्पिणी . काल में हो तो क्या A दुषम दुषम, दुषम, दुषम सुषम, सुषम दुषम, सुषम व सुषम मुषम काल में होवे ? अहो गौतम ! जन्म आश्री !
दुषम दुषम,सुपम व सुपम सुषम काल में होवे नहीं परंतु दुषम,दुषम सुषम व सुषमंदुषम काल में होवे. विद्यमान 15 आश्री दुषम दुषम,दुषम,सुषम व मुषम सुपम काल में नहीं होते परंतु दुषम मुषम सुपम दुषम व सुषम काल में ।
48 पंचमांग विवाह परुणत्ति ( भगवती ) मत्र
पोसवा शेतकका हा उद्देशा
988