Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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पंचमांग विवाह पण्णत्ति (भगवतीमूत्र 8.
तिस ओरालियतया कम्मएसु होज्जा ।। चउमु होज्जमाणे चउसु ओरालिय वेउव्यिय तेया कम्मएसु होज ॥ एवं पडिसवणा कुसीलेवि ॥ कसायकुसीले पुच्छा ? गोयमा!. तिसुवा चउसुवा पंचसुवा होजा, तिसुहोजमाणे तिसु ओरालिय तेया कम्मएसु होजा; चउसु होजमाणे चउसु ओरालिय वेउब्विय तेया कम्मएसु होजा, पंचसु होजमाणे पंचसु. ओरालिय वेउविय आहारग तेया कम्मएसु होज्जा ॥ णियंठो सिणाओय जहा पुलाओ ॥ ११ ॥ पुलाएणं भंते ! किं कम्मभूमीसु होजा ?
गोयमा ! जम्मणसंतिभावं पडुच्च कम्मभूमीए होजा, णो अकम्मभूमीए होजा होवे सीन होवे तो उदारिक सेमम् व कार्माण और चार होवे तो उदारिक, वैकेंय, तेजस् और कार्माण. ऐसे हैं। प्रतिसेवना कुशील का जानना. कषाय कुशील की पृच्छा, अहो गौतम ! तीन, चार अथवा पांच में होवे. सीन में हो तो उदारिक तेजसू व कार्माण, चार होचे तो उदारिक, वैक्रेय, तेजम् व कार्माण और पांच होवे तो उदारिक, वैक्रेय, आहारक, तेजम् और कार्माण होवे. निग्रंथ 43333 स्नातक का पुलाक जैसे कहना ॥ ११ ॥ क्षेत्र द्वार. अहो भगवन् ! पुलाक क्या कर्मभूमि में होवे ? अहो । गौतम ! जन्म व संनिभाव न विद्यमान अवस्था ] आश्री कर्मभूमि में होवे और वहां विचरे परंतु अकर्म
पच्चीसवा शतक का छठा उद्देशा 486
भावार्य
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