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________________ 486 पंचमांग विवाह पण्णत्ति (भगवतीमूत्र 8. तिस ओरालियतया कम्मएसु होज्जा ।। चउमु होज्जमाणे चउसु ओरालिय वेउव्यिय तेया कम्मएसु होज ॥ एवं पडिसवणा कुसीलेवि ॥ कसायकुसीले पुच्छा ? गोयमा!. तिसुवा चउसुवा पंचसुवा होजा, तिसुहोजमाणे तिसु ओरालिय तेया कम्मएसु होजा; चउसु होजमाणे चउसु ओरालिय वेउब्विय तेया कम्मएसु होजा, पंचसु होजमाणे पंचसु. ओरालिय वेउविय आहारग तेया कम्मएसु होज्जा ॥ णियंठो सिणाओय जहा पुलाओ ॥ ११ ॥ पुलाएणं भंते ! किं कम्मभूमीसु होजा ? गोयमा ! जम्मणसंतिभावं पडुच्च कम्मभूमीए होजा, णो अकम्मभूमीए होजा होवे सीन होवे तो उदारिक सेमम् व कार्माण और चार होवे तो उदारिक, वैकेंय, तेजस् और कार्माण. ऐसे हैं। प्रतिसेवना कुशील का जानना. कषाय कुशील की पृच्छा, अहो गौतम ! तीन, चार अथवा पांच में होवे. सीन में हो तो उदारिक तेजसू व कार्माण, चार होचे तो उदारिक, वैक्रेय, तेजम् व कार्माण और पांच होवे तो उदारिक, वैक्रेय, आहारक, तेजम् और कार्माण होवे. निग्रंथ 43333 स्नातक का पुलाक जैसे कहना ॥ ११ ॥ क्षेत्र द्वार. अहो भगवन् ! पुलाक क्या कर्मभूमि में होवे ? अहो । गौतम ! जन्म व संनिभाव न विद्यमान अवस्था ] आश्री कर्मभूमि में होवे और वहां विचरे परंतु अकर्म पच्चीसवा शतक का छठा उद्देशा 486 भावार्य 48
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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