Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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अनुवादक-यालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी
वा होज्जा किं तित्थयरे होजा, पत्तेयवुडे होजा? गोयमा! तित्थगरे वा होजाः पत्तेयबुद्धे, वा होजा ॥ एवं णियंठेवि ॥ एवं सिणाते ॥ ९ ॥ पुलाएणं भंते ! किं सलिंगे होजा, अण्णलिंगे होजा, गिहलिंगे होज्जा ? गोयमा ! दव्वलिंगं पडुच्च सलिंगे वा होज्जा अण्णलिंगेधा होजा, भावलिंग पडुच्च णियमं सलिंगे होज्जा एवं जाव सिणाए ॥१०॥ पुलाएणं भंते ! कइसु सरीरेसु होजा ? गोयमा ! तिसु ओरालिय तेया कम्मएसु होजा । वउसेणं भंते ! पुच्छा, गोयमा! तिसुवा चउसुवा होज्जा, तिसुहोजमाणे कुश, ष प्रतिसेवना कुशील का मानना. कषाय कुशील की पृच्छा, अहो गौतम ! तीर्थ में होवे अथवा अतीर्थ में भी होवे. यदि तीर्थ में हो तो क्या तीर्थकर को होवे या प्रत्येक बुद्धको होवे ? अहो गौतम ! तीर्थंकर को होवे अथवा प्रत्येकबुद्ध को होवे, ऐसे ही निग्रंथ व स्नातक का जानना ॥ ९॥ अब लिंगद्वार
कहते हैं. अहो भगवन् ! पुलाक क्या सलिंगी, अन्य लिंगी या गृहलिगी हैं ? अहो गौतम ! द्रव्य Eलिंग आश्री सलिंगी अथवा अन्य लिंगी होवे और भाव लिंग आश्री नियमा सलिंगी होवे. ऐसे ही " स्नातक पर्यंत कहना ॥१०॥ अहो भगवन् ! पुलाक कितने शरीर में होवे ? अहो गौतम! उदारिक.
तेजस् व कार्माण ऐसे तीन शरीर में होवे. बकुश को पृच्छा, अहो गौतम ! तीन अथवा चार शरीर में,
•"प्रकाशक-राजाबहादुर लाला सुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी *
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