Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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काले वा होज्जा, उस्सप्पिणीकाले वा होजा, णो ओसप्पिणी णो उस्सप्पिणीकाले वा होज्जा ॥ जइ ओसप्पिणीकाले होज्जा किं सुसमसुसमाकाले वा होजा पुच्छा ? गोयमा ! जम्मणं संतिभावं पडुच्च णो सुसमसुसमाकाले होजा, णो सुसमाकाले होजा, सुसम दुस्समाकाले होजा, दुस्समसुसमाकाले वा होज्जा, दुस्समाकाले वा - होजा, णो दुस्सम दुस्समाकाले होज्जा ॥ साहरणं पडुच्च अण्णयरे समाकाले होज्जा।
जदि उस्सप्पिणीकाले होज्जा किं दुस्समदुस्समाकाले होज्जा ? गोयमा ! जम्मणं
पडुच्च णो दुस्सभ दुस्समाकाले होज्जा, जहेव पुलाए । संतिभावं पडुच्च णो दुस्सम भावा अवसर्पिणी में हो तो क्या सुषम सुषम काल में होवे ? वगैरह पृच्छा, अहो गौतम ! जन्म और विद्यमान
भाव आश्री सुषम सुषम, सुषम, और दुषम दुषम काल में होवे नहीं परंतु सुषम दुषम, दुषमसुषम व दुपम काल में होवे. साहरण आश्री अन्य काल में भी होवे. यदि उत्सर्पिणी काल में हो तो क्या दुषम दुषम काल में होवे वगैरह पृच्छा, अहो गौतम ! जन्म आश्री दुपम दुषम काल में होवे वगैरह जैसे पुलाक
का कहा वैसे ही कहना. विद्यमान भाव आश्री दुषम दुषम काल में होवे नहीं ऐसे ही विद्यमान भाव का 10 भी पुलाक जैसे कहना यावत् सुषम सुषम काल में होवे नहीं. साहरण आश्री अन्य काल में भी होते.
पंचमांग विवाह एण्णत्ति ( भगवती) मूत्र <age
..पच्चीसवा शतक का छठा उद्देशा 480