Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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सूत्र
भावार्थ
** पंत्रमाङ्ग विवाह पण्णत्ति (भगवती) मृत्र 498+
पएसटुयाए मंखेज्जपएसोगाढा पोग्गला दव्त्रटुयाए संखेज्जगुणा तेचेत्र पदेसट्ट्याए संखज्ज गुणा, असंखेज एसोगाढा पोग्गला दन्त्रट्टयाए असंखेज्जगुणा, तेचेत्र पदेसट्टयाए असंखेज्जगुणा ॥ २३ ॥ एएसिणं भंते ! एमसमयद्वितीयाणं संखज. समयद्वितीयाणं असं
समय द्वितीयायपोग्गलाणं जहा ओगाहणाए तहा ठितएव भाणियन्त्र अप्पाबहुगं ॥२४॥ एएसिणं भंत ! एगगुण कालमाणं संखेजगुण कॉलगाणं, असंखेज्जगुण कालगाणं, अनंतगुण कालगाणय पोम्गलाणं दव्बट्टयाए पदेसट्याए दव्बटुपएसठ्याए, एएसिणं जहा परमाणु गेग्गलाणं अप्पाबहुगं तहा एएसिपि अप्पा बहुगं ॥ एवं सेसाणात्रि
यावत्
इम से वहीं प्रदेश आश्री संख्यात गुने, इससे असंख्यात प्रदेशात्रगाही पुल द्रव्य मे असंख्यात गुते 'इस से वही प्रदेश आधी असंख्यात गुते ॥ २३ ॥ अहो भगवन् ! इन एक समय की सिति वाले संख्यात समय की स्थिति वाले व असंख्यात समय की स्थिति वाले पुलों में कौन अल्प बहुतविशेषाधिक हैं. ? अहो गौतम ! जैसे अवगाहना का कहा वैसे ही स्थिति का कहना ||२४|| अहो इन एक गुणकाला, संख्यात गुणकाला, असंख्यात गुण काला व अनंत गुनकाला पुद्गल में प्रदेश से व द्रव्य प्रदेश से कौन अल्प बहुत यावत् विशेषाधिक हैं ? अहो गौतम ! जैसे
भगवन्
द्रव्य से
परमाणु
4243 पचीसना शतक का चौथा, उद्देशा
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