Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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सूत्र
भावार्थ
** पंचमांग विवाह पण्णत्ति ( भगवती ) सूत्र
कलिओगे || चउपदेसिए पुच्छा ? गोयमा ! कडजुम्मे णो तेओए, णो दावर, णो कलिए || पंचपसि जहा परमाणु पोग्गले || छप्पएसिए जहा दुपदेसिए | सत्तपदेसिए जहा तिपएसिए | अट्ठपएसिए जहा चउप्पएसिए || णव पएसिए जहा परमाणुपोग्गल, दसपएसिए जहा दुपएसिए ॥ संखेज्जपएसिएणं भंते! पोग्गले पुच्छा ? गोयमा ! सिय कडजुम्मे जाव लिय कलिओगे ॥ एवं असंखेजपएसिएवि एवं अनंत पसिएवि ॥ २८ ॥ परमाणु पोग्गलाणं भंते ! परसट्टयाए किं कडजुम्मा पुच्छा ? गोयमा ! ओघादेसेणं सिय कडजुम्मा जाव सिय कलिओगा, विहाणादेसेणं {प्रयोज द्वापर व कलियोज नहीं है. पांच प्रदेशिक परमाणु पुद्गल जैसे कहना, छ प्रदेशिक का दो प्रदेशी { जैसे जानना, सात प्रदेशी का तीन प्रदेशी स्कंध जैसे कहना. आठ प्रदेशिक का चार प्रदेशिक जैसे कहना. ( नव प्रदेशिक का परमाणु पुद्गल और दश प्रदेशिक का दो प्रदेशिक जैसे कहना. संख्यात प्रदेशिक की पृच्छा, अहो गौतम ! स्यात् कृतयुग्म यावत् स्यात् कलियोज. ऐसे ही असंख्यात प्रदेशिक यावत् अनंत प्रदेशिक का कहना || २८ || अहो भगवन् ! परमाणु पुगल प्रदेश आश्री क्या कृतयुग्म है वगैरह पृच्छा, अहो गौतम ! सामान्य से स्यात् कृतयुग्म यावत् स्यात् कलि युग्म विधानादेश से कृतयुग्म, प्रयोज,
430* पच्चीसवा शतक का चौथा उद्देश। 4028
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