Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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पंचमान विवाह पण्णारी (भगवती) सूत्र
असंखेनगुणा, संखेजपदेसिया बंधा देसेया दवठ्याए असंखेज्जगुणा, असंखेजपए .. सिया खंधा देसेया दवट्ठयाए असंखेज्जगुणा ; परमाणुपोग्गला णिरेया दवट्ठयाए असंखेजगुणा, संखेजपदेसिया खंधा पिरेया दबट्टयाए संखेजगुणा, असंखेजपदेसिया खंधा णिरेया दव्वट्ठयाए असंखेज्जगुणा ॥ पदेसट्टयाए-सव्वत्थोवा अणतपदेसिया खंधा पदेसट्टयाए एवं पएसट्टयाएवि. णवरं परमाणुपोग्गला अपदेसट्टयाए भाणियव्या ।
संखेजपदेसिया खंधा णिरेया पदेसट्टयाए असंखेजगुणा, सेसं तंचेव ॥ दवट्ठपए. इस से संख्यात प्रदेशिक स्कंध द्रव्य आश्री सब कम्पनवाले असंख्यातगुने, इस मे परमाणु पुद्गल सब कम्पनवाले असंख्यातगुन. इस से संख्यात प्रदेशिक स्कंध देश कम्पनवाले द्रव्य से असंख्यातगुने इस से असंख्यात प्रोशिक स्कंध देश कम्पनवाले द्रव्य से असंख्यातगुरे इस से परमाणु पुद्गल अकम्पनवाले द्रव्य से असंख्यातगुने ri इस से संख्यात प्रदेशिक स्कंध अकम्पनवाले द्रव्य से संख्यातगुने और इस से असंख्यात मदेशिक स्कंध अकम्प द्रव्य स असंख्यात गुने, अब प्रदेश आश्री अल्पावहुत्व कहते हैं. सब से थाडे अनंत प्रदेशिक स्कंध प्रदेश से यो मब द्रव्यार्थ जैसे प्रदेशार्थ का भी कहना. परंतु परमाणु पुद्गल अप्रदेश कहना. और असंख्यात प्रदेशिका संध कम्प वाले प्रदेश आश्री असंख्यात गुने शेष वैसे ही. अब द्रव्य प्रदेश-सब से थोडे अनंत प्रदेशिक कंप |
488 पच्चीसवा शतक का चौथा उद्देशा
भावार्थ
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