Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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भावार्थ
4 अनुवादक बालब्रह्मचारीमुनि श्री अमोलक ऋषिजी +
संखेज्जगुण कक्खडेर्हितो पोग्गलेर्हितो असंखेजगुण कक्खडा पोग्गला दव्वटुयाए बहुया, असंखेजगुण कक्खडेर्हिता पोग्गलहिंतो अनंतगुण कक्खडा पांगला दव्बया बहुया || एवं प्रदेस टुयाए सन्वत्थ पुच्छा भाणियव्वा जहा कक्खडा ॥ एवं म गुरु लहुयावि ॥ सीय उसिण मिडलक्खा जहां वण्णा ॥ २१ ॥ एएसिणं भंते! परमाणुपोग्गलाणं संखेज एसियाणं असंखेज एसियाणं अनंतपएसियाणं खधादव्या पट्टयाए दन्त्रटुपदेसट्टयाए कयरे कयरे जात्र विसेसाहियात्रा ? गोमा ! सम्वत्थोवा अनंतपदेसिया खंधा दव्वट्टयाए, परमाणुभग्गला दव्वटुयाए असंख्यात गुन कर्कश पुद्गल से अनंत गुन कर्कश पुद्गल द्रव्य से बहुत, जैने द्रव्य आश्री कहा वैसे ही प्रदेश माश्री कहना और जैसे कर्कश का कहा वैसे ही मुदु, गुरु, लघु, का कहन्न शीर ऊष्ण, निग्ध व रुक्ष वा वर्ण जैसे कहना. ॥ २१ ॥ अहो भगवन् ! इन परमाणु पुल, नेरूपात प्रदेशिक संघ, असंख्यात प्रदकि स्कंध व अनंत प्रदेशिक स्कंध में द्रव्य आश्री प्रदेश आश्री व द्रव्य प्रदेश अश्री कौन किस मे अल हुन यावत विशेषाधिक है ? अहो गौतम ! सब से थोडे द्रव्य से अनंत प्रदेशिक स्कंध, इस से परमाणु पुद्गल द्रव्य से अनंत गुने, इस से संख्यात प्रदेशिक स्कंध द्रव्य से संख्यात गुने, इस से असंख्यात प्रदेशिक
● प्रकाशक-शहर लाना हो
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