Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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* यन्वा ॥ एएसिणं भंते । एगपदेमोगाढाणं दुपदेसोगाढाणं पोग्गलाणं पदेसट्टयए E कयरे कयरेहितो जाब विसेसाहियाना ? गोयमा ! एगादेसोगाढेहितो पोग्गलहितो
दुपदेसीगाढा पोग्गला पदेसट्टयाए विसेसाहिया. एवं जाव णवपदेसोगाढेहिंतो पांग्ग
लेहितो दूसपएसोग ढा पोग्गला पदेसट्टयाए पिसेसाहिया, दस पदेसोंगाढेहितो पोग्गले. IM. हिंतो संखेजपएसोगाढा पोग्गला पदेमट्टयाए बहुया, संखेजपएसो गाढेहिंतो पोग्गले12. हिंतो असंखेजपदेतोगाढा पोग्गला पदेसट्टयाए बहुया ॥ १८ ॥ एएसिणं भंते !
* एगसमयट्टिईयागं दुसमयढिईयाणय पोग्गलाणं दवट्ठयाए जहा आगाहणा वतव्वया . भावार्थी भगवन् ! एक प्रदेशावगाही व दो प्रदेशावगाही पुद्गलों में से कौन किस से प्रदेश से यावत् विशे
पाधिक हैं ? अहो गौतम ! एक प्रदेशावगाही पुदर में दो प्रदेशाग. ही पुद्गल प्रदेश से विशेषाधिक हैं..
एमे ही यावत् नव प्रदेशावगाही पुद्गलों से दश प्रदेशावगाडी पुद्गलों प्रदेश से विशेषाधिक हैं. दश प्रदेEशाबगाही पुद्गल से मंख्यात प्रदेशावगाही पुद्गल प्रदेश से बहुत हैं और संख्यात प्रदशावगाही पुद्गल से
अख्यात प्रदेशावगाही पुद्गल प्रदेश से बहुत है. अहो भगवन् ! एक समय की स्थिनिवाले व दो | समय की स्थितिवाले पुद्गलों में कौन अल्प बहुत हैं ? अहो गौतम ! जैसे अवगाहना का कहा वैसे ही
प्रकाशक राजावहादुर लाला मुखदेवमहायनी माजाप्रमादजी.
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