Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
View full book text
________________
२५९१
पंचमाङ्ग विवाह पण्णात (भगवती) सूत्र ११
पलिओवमाई, उक्कोसेणं तिण्णि पलिओवमाइं, सेसं तंचेव जाव भवादेसोत्ति, ॥ कालादेसेणं जहण्णेण देसूणाई चत्तारि पलिओउमाई, उक्कोसेणं देसूणाई पंचपलिओ वमाइं एवइयं कालं सेवेज्जा ॥ ३ ॥ सोचेव अप्पणा जहण्ण कालद्वितीओ जाओ तस्स तिसु गमएसु जहेब असुरकुमारेसु उबवज्जमाणस्स जहण्णकालद्वितीयस्स तहेव गिरवसेसं ॥ ६ ॥ सोचेच अप्पणा उक्कोसकालठितीओ जाओ तस्सवि तहेन तिण्णिगमगा जहा असुरकुमारेसु उववज्जमाणस्स णवरं णागकुमारठुिर्ति संबेहं च
जाणेजा सेसं तंचेव जहा असुरकुमारेसु उववजमाणस ॥ ९ ॥ १ ॥ जइ जघन्य स्थिति में उत्पन्न हुवा वगैरह सब वक्तव्यता पूवोक्त जैसे कहना विशेष में नागकुमार की स्थिति में व संवेध कहना. वहो उत्कृष्ट स्थिति में उत्पन्न हुवा वगैरह उसकी भी वैसे ही वक्तव्यता करना उसकी स्थिति जघन्य देश ऊणा दो पल्योपम उत्कृष्ट तीन पल्योपम शेष भवादेश पर्यंत वैसे ही कहना. कालादेश, से जघन्य चार पल्योपम उत्कृष्ट देश उणा पांच पल्योपम इतना काल सेवे. वही जघन्य स्थितिबाला उत्पन्न हुवा वगैरह उस के तीनों गमाओ में जैसे असुरकुमार का कहा वैसे ही यहां जानना. वही उत्कृष्ट स्थितिवाला उत्पन्न हुवा उसके भी तीनों गमाओं असुरकुमार में उत्पन्न होने के तीनोंगमा जैसे कहना. परंतु
48 चौवीसवा शतक का तीसरा उद्देशा 98
4